पटवारी परीक्षाः छोटी उम्र में ही बन गए थे संविदा कर्मचारी, इस गलती से अब असली कर्मचारियों की बढ़ गई मुश्किल


कर्मचारी चयन मंडल की गफलत के कारण बढ़ी परेशानी, अब न्यूनतम कट ऑफ का भी निर्धारण


DeshGaon
उनकी बात Updated On :
पटवारी परीक्षा को लेकर प्रदेश में कई जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।


पटवारी परीक्षा में तरह तरह की गलतियों और गड़बड़ियों की खबरें आ रहीं हैं। एक खबर है जो बताती है कि पांच साल तक के तर्जुबे वाले संविदा के कर्मचारियों को इस परीक्षा में वरीयता दी जानी थी। ऐसे में बड़ी संख्या में कई संविदा कर्मचारियों ने अपनी वरियता अपनी नौकरी करते हुए पढ़ाई की और यह परीक्षा दी। अब हजारों की संख्या में संविदा कर्मचारी निराश हैं। इसकी वजह यह है कि कई सामान्य अभ्यर्थियों ने संविदा कर्मी होने के कॉलम में टिक किया और अब सामान्य अभ्यर्थियों को संविदा आरक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों में गिना जा रहा है।

पटवारी परीक्षा परिणाम को लेकर हंगामा शुरु के बाद अब इस बात का पता चल रहा है। दरअसल जिन अभ्यर्थियों ने संविदा कर्मचारी के रुप में अपना नामांकन भरा उनकी उम्र काफी कम है। कुछ अभ्यर्थियों की उम्र तो करीब  20 से 23 साल तक है। ऐसे में सभी दूसरे संविदा कर्मचारी इस बात को लेकर परेशान हो गए हैं कि उनके बीच में ऐसे कितने हैं जिन्होंने 18-19 साल में ही संविदा परीक्षा पास कर नौकरी हासिल कर ली है क्योंकि सामान्य पढ़ाई की आयु को गिन लें तो भी 20 वर्ष की उम्र में ग्रेजुएट होकर संविदा की नौकरी करने लगे ऐसा मान भी लिया जाए तो प्रदेश में व्याप्त बेरोजगारी में इस बात की संभावना न के बराबर है।

हालांकि कई उदाहरण इससे भी ज्यादा चौंकाने वाले हैं जो बताते हैं कि जहां कई अभ्यर्थी केवल 21-22 साल की उम्र के हैं और उन्होंने संविदा श्रेणी में आवेदन किया और अच्छे अंक लाए हैं। वहीं एक उदाहरण तो और भी चौंकाने वाला है कपिल कुमार वर्मा नाम के एक अभ्यर्थी अभी केवल बीस साल के हैं और यानी कहा जा सकता है कि उन्होंने करीब पंद्रह साल की उम्र में ही संविद की नौकरी हासिल कर ली थी। कपिल ने करीब 135 नंबर हासिल किए हैं और उन्हें संविदा कोटे का लाभ भी मिलने की उम्मीद है।

सूची के हिसाब से कुछ कम उम्र संविदा कर्मी जो अब पटवारी बनने की कतार में हैं।

इस मामले के सामने आने के बाद ज्यादातर लोगों ने कहा कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि संविदा कर्मी होने को लेकर अभ्यर्थियों ने गलत जानकारी भरकर परीक्षा दे दी क्योंकि वे बाद की जांच में बाहर हो जाएंगे। हालांकि इसका असर इस गलती से कहीं बड़ा है क्योंकि सरकार ने संविदा कर्मचारियों के लिए भी कट ऑफ लिस्ट भी तय कर दी है और इसके हिसाब से नौकरी के साथ पढ़ाई करने वाले कर्मचारी अभ्यर्थी केवल पढाई करके परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों से पीछे हो चुके हैं। यह कट ऑफ अलग-अलग श्रेणियों के हिसाब से है। यानी कपिल की तरह कई अभ्यार्धियों की गलती से यह स्थिति और भी पेचीदा हो गई है। जानकारी के मुताबिक चयनित पटवारियों में संविदा श्रेणी में गलत तरीके से आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या करीब 600 के आसपास है।

संविदा कर्मियों के मुताबिक वे सरकारी कर्मचारी होने के कारण अपनी परेशानी खुलकर रख भी नहीं पा रहे हैं लेकिन मामला इतना उलझ चुका है कि आने वाले दिनों में अगर इसे सुलझाने की कोशिश होती भी है तो समय काफी लग जाएगा क्योंकि कर्मचारी चयन मंडल इसी तरह काम करता है। एक परिणाम सूचि 18 महीने तक ही वैध होती है ऐसे में इस अवधि के बाद सारा परिणाम व्यर्थ रहेगा।

एक संविदा कर्मी बताते हैं कि यह पहली बार हुआ है कि न्यूनतम कट ऑफ जारी की गई है। ये कर्मी बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि केवल नौजवान अभ्यर्थियों की गलती हो यह गलती खुद कर्मचारी चयन मंडल की भी है जिन्होंने परीक्षा का आवेदन देने से पहले संविदा का अनुभव प्रमाण पत्र या अन्य कोई जानकारी देने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की। ऐसा होता तो शायद यह स्थिति बेहतर हो सकती थी।


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