CM शिवराज के अधूरे वादे से असमंजस में किसान और बैंक, फिलहाल 28 मार्च को ही भरना है बकाया


इंदौर जिले में करीब साठ हज़ार किसानों से आठ सौ करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया जाना है और अब तक तैंतीस प्रतिशत वसूली हो चुकी है और बैंकों और समितियों से लगातार वसूली बढ़ाने को कहा जा रहा है।


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उनकी बात Updated On :

इंदौर। फसल ऋण वसूली के लिए राज्य सरकार ने किसानों को अधूरी राहत दी है। मुख्यमंत्री ने ऋण वापसी के लिए एक महीने की छूट तो दे दी लेकिन इसके बाद अब कोई आदेश बैंकों तक नहीं पहुंचा है।

जिसके चलते समितियां और बैंक किसानों पर ऋण वसूली का दबाव बना रहे हैं और किसान इससे परेशान हैं।

किसानों में इस बात को लेकर असमंजस है कि वे कर्ज़ जमा करें या नहीं और उनके इस असमंजस के चलते बैंक भी परेशान हैं क्योंकि वे अपने लक्ष्य से पिछड़ रहे हैं।

समितियों को 28 मार्च तक सारी वसूली करने के लिए निर्देशित किया गया है।

बैंकों और समितियों के मुताबिक उन्हें जब तक आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं होता है तब तक वे कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि वित्तीय वर्ष खत्म होने को है और उनकी वसूली अब तक बहुत कम है।

जानकारी की मानें तो इंदौर जिले में करीब साठ हज़ार किसानों से आठ सौ करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया जाना है और अब तक तैंतीस प्रतिशत वसूली हो चुकी है और बैंकों और समितियों से लगातार वसूली बढ़ाने को कहा जा रहा है।

एसएम इंदौर जिले के किसान इन दिनों कार से असमंजस में हैं। बीते दिनों हुई ओलावृष्टि के कारण यहां काफी हद तक फसलों को नुकसान हुआ है।

ऐसे में किसानों को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री का एक महीने बाद तक लोन भर पाने का यह आश्वासन उनके कुछ काम आएगा  लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है।

 

यहां किसान संघ से जुड़े किसान नेता मोहन लाल पांडे के मुताबिक सरकार को जल्दी ही समितियों में निर्देश चस्पा करवाना चाहिए ताकि किसान और समिति कर्मचारियों का असमंजस खत्म हो।

धार के किसान दिनेश लववंशी बताते हैं कि  परसों ही उन्हें सोसायटी से पत्र आया है और 28 मार्च तक बकाया जमा करने को कहा गया है।

वे कहते हैं कि सोसायटी वाले एक महीने बाद पैसे जमा करने के किसी भी आदेश से इंकार कर रहे हैं।

एक अन्य किसान रवि रघुवंशी के मुताबिक 18 मार्च को धार में ही  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तारीख़ बढ़ाई थी लेकिन आज तक ऐसा कोई आदेश बैंक या सोसायटियों में नहीं पहुंचा है।

समितियों के सामने मुश्किल ये है कि पुराना वित्तीय वर्ष खत्म होने के साथ नया वित्तीय वर्ष शुरु भी होगा और इसके साथ ही उन्हें किसानों को लोन देने की प्रक्रिया फिर शुरु करनी होगी।

ऐसे में किसान और समितियां दोनों ही सरकार के इस अधूरे वादे से परेशान हैं।

पूरे प्रदेश में यही स्थिति है। खंडवा जिले में करीब 1.20 लाख किसानों से 15 करोड़ की  वसूली होनी है। यहां अभी तक लगभग 30% वसूली हो सकी है।

इसी तरह धार जिले में 85 हज़ार किसानों से 536 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य है और अब तक 25 प्रतिशत वसूली हो सकी है।

फिलहाल 28 मार्च तक ही वसूली करने का आदेश है वहीं अब तक तारीख़ बढ़ाए जाने का कोई आदेश नहीं आया है।

झाबुआ जिले में 45 हज़ार किसानों ने 220 करोड़ रुपये की वसूली होनी है और अब तक 26 प्रतिशत लक्ष्य हांसिल हो चुका है।

अप्रेल तक तिथि बढ़ाने का अभी कोई सरकारी आदेश नही आया है।बैंक अधिकारियों को आदेश आने का इंतज़ार है।

 

कर्ज़माफी की आस में बढ़ता रहा कर्ज़…

किसानों पर सोसायटियों का बड़ा बोझ है। फिलहाल किसानों की मुश्किल काफ़ी बढ़ी है उन पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है।

यह कर्ज काफी पुराना होता जा रहा है। कमलनाथ सरकार ने किसानों का कर्जा माफ़ करने का वादा किया था। उस समय किसानों ने कर्ज अदा नहीं किया।

जिसके बाद प्रक्रिया शुरु हुई और बहुत से किसानों का कर्ज माफ़ हुआ लेकिन दो लाख रुपये तक के बड़े कर्जदार शेष रहे। इसके बाद सरकार गिर गई और फिर लॉकडाउन लग गया।

इसदौरान बहुत कम किसानों ने कर्ज़ जमा किया लेकिन कर्ज़ की रकम तो बढ़ती रही।

 

 



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