भोपाल। मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया जा चुका है। इसके बाद से ही इस कानून का प्रचार प्रसार जारी है और इस काम को खुद मुख्यमंत्री कर रहे हैं। पिछले दिनों वे इसी अभियान के सिलसिले में डिंडौरी में थे यहां एक जनसभा में दीपमाला मरावी नाम की एक महिला सामने आईं तो मुख्यमंत्री ने उनकी गोद में बच्चे को देख उसे दुलारा और बातों ही बातों में बच्चे का नाम पेसा रख दिया हालांकि ये नाम बच्चे के माता-पिता को पसंद नहीं आया और उन्होंने बच्चे को हेमराज नाम दिया है।
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक जन्मप्रमाण पत्र में बच्चे का नाम हेमराज सिंह लिखा हुआ है। बच्चे के परिजनों का कहना है कि मुख्यमंत्री के आने के एक दिन पहले ही दो कथित सरकारी कर्मचारी उनके घर आये थे और उनके कहने पर ही बच्चे की मां दीपमाला नामकरण कराने सीएम के पास पहुंच गईं थीं।
एनडीटीवी को परिजनों ने बताया कि उनके बेटे का नाम हेमराज ही अच्छा लगता है, उन्होंने कहा कि हमारे गांव में मुख्यमंत्री आए थे। खबर के अनुसार बच्चे की दादी सुखवती मरावी ने भी कहा कि हमने हेमराज नाम रखा था, मुख्यमंत्री आए तो पेसा नाम रखा दिया। परिजन कहते हैं एक दिन के लिए सरकारी कर्मचारियों के कहने पर बच्चे का नाम बदलने के लिए राजी हुए थे।
खबरों की मानें तो मुख्यमंत्री शिवराज ने लोगों के सामने वाहवाही लूटने के लिए ऐसा नाम रखा था। इसके बाद अखबारों में कई सुर्ख़ियां भी बनीं। हालांकि कांग्रेस ने इसे मुख्यमंत्री का पब्लिकसिटी स्टंट बताया वहीं भाजपा के नेताओं ने कहा कि बच्चे का मूल नाम हेमराज ही है बस उपनाम ही पेसा रखा गया है।
दरअसल मप्र में पेसा कानून काफी इंतजार के बाद लागू किया जा सका है और इसके लागू किए जाने का समय भी चुनाव से ठीक पहले का है। ऐसे में मुख्यमंत्री और भाजपा आदिवासी वोट को साधने के लिए इसका पूरा प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
(उक्त खबर एनडीटीवी के पत्रकार अनुराग द्वारी के द्वारा लिखी गई है, हम इसे साभार प्रकाशित कर रहे हैं)