चिनकी बैराजः अपनी ज़मीनों के बारे जानकारी की चाह में नर्मदा किनारे महीने भर से दे रहे धरना, नहीं सुन रहा शासन-प्रशासन


लोगों की जमीनों पर निशान लगा दिए गए हैं लेकिन उन्हें ये नहीं बताया जा रहा है कि कितनी जमीनें डूब में जा रहीं हैं और इसके लिए उन्हें कितना मुआवजा दिया जाएगा।


ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Published On :
narsinghpur chinki dam protest

नरसिंहपुर। घूरपुर में चिनकी बोरास, बैराज बहुउद्देशीय परियोजना में प्रभावितों को सही जानकारी नहीं दिए जाने, जमीन के बदले जमीन और पर्याप्त मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना जारी है। इस धरने को अब तीस दिन यानी एक महीना हो चुका है। 19 मई से यह धरना प्रदर्शन शुरु हुआ था।

ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक उन्हें  प्रशासन ने कोई जानकारी नहीं दी है। धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया ऐसा है मानों उन्हें हमारी जमीनों पर उन्हें कुछ भी करने का अधिकार है।

लोगों ने बताया कि महीनों पहले सर्वे शुरु हो चुका है। लोगों की जमीनों पर निशान लगा दिए गए हैं लेकिन उन्हें ये नहीं बताया जा रहा है कि कितनी जमीनें डूब में जा रहीं हैं और इसके लिए उन्हें कितना मुआवजा दिया जाएगा।

इस धरना प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे बैठे हैं जिनके घरों के बिल्कुल नजदीक निशानदेही की गई है। ये महिलाएं समझ नहीं पा रही हैं कि उनके घर के अगर इतना नजदीक पानी आता है तो उनका घर बचेगा या नहीं क्योंकि प्रशासन ने कहा है कि किसी के भवनो को नुकसान नहीं होगा।

ऐसे में महिलाएं पूछ रहीं हैं कि अगर ऐसा है तो निशानदेही क्यों हो रही है। वहीं धरने में बैठे कई लोगों ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि अधिग्रहण की जानकारी स्पष्ट तौर पर देने की बजाए इतने दिनों में उससे संबंधित दस्तावेज केवल  पंचायत भवन में चस्पा करने की औपचारिकता कर दी गई है।

सोमवार को चिनकी बैराज के संबंध में नर्मदा तट घूरपुर धर्मशाला में धरना देने वालों का सोमवार को 30वां दिन था। यहां बताया गया कि ग्राम पंचायत गुर्सी में 23 लोगों की जमीन के अधिग्रहण को लेकर एक जानकारी पंचायत में चस्पा की गई है। जिसमें 23 किसानों की 2.934 हेक्टेयर यानी करीब  5 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की सूचना है।

ग्रामीणों का कहना है कि शासन कैसे और किस तरह से उनकी जमीन ले रहा है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस मामले में अधिकारी संवाद ही नहीं कर रहे हैं। अब तक एक ही बार अधिकारी लोगों से मिले हैं और इसके बाद से अब तक निर्देश या सूचना के कागज ही देखे गए हैं यानी साफ है कि लोगों की जमीन लेने के लिए  सिर्फ एकतरफा संवाद हो रहा है।

इस मामले में धरना देने वाले किसान श्याम पटेल ने कहा कि अभी भी जानकारी नहीं दी जा रही है कि कहां-कैसे, किसकी जमीन प्रभावित हो रही है।

धरना का नेतृत्व कर रहे समाजसेवी बाबूलाल पटेल का कहना है कि प्रशासन अभी भी असंवेदनशील रवैया अपना रहा है जबकि ग्रामीण और अधिकारियों के बीच बातचीत होना चाहिए तो वह भी संवाद नहीं किया जा रहा है।

उधर महिलाएं भी धरने में पहुंच रही हैं। यहां जुटी महिलाओं ने बंबुलिया गाकर नर्मदा की प्रति आस्था जताई तो एक ग्रामीण ने लोगों के बीच गीत गाकर उनका हौसला भी बढ़ाया।


Related





Exit mobile version