इंदौर। लंबे समय से अपनी समस्याओं के निराकरण की मांगे पूरी नहीं होने के विरोध में छावनी परिषद के चतुर्थ श्रेणी व अस्थायी कर्मचारियों ने बुधवार को काम बंद कर हड़ताल कर दी। इसका व्यापक असर क्षेत्र में नजर आया और जगह-जगह गंदगी के ढेर दिखाई देने लगे।
दरअसल इस हड़ताल की वजह छावनी परिषद की सीईओ मनीष जाट की जिद थी। जो कर्मचारियों को अच्छी नहीं लगी।
बुधवार को छावनी परिषद के करीब तीन सौ से ज्यादा कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल कर दी तथा वर्कशॉप के सामने धरना शुरू कर दिया।
कर्मचारी जहां चाहते थे कि सीईओ धरना स्थल पर आकर उनसे चर्चा करें तो वहीं सीईओ की इच्छा थी कि कर्मचारी पहले उनके बंगले पर आएं और फिर कार्यालय में बुलाकर चर्चा करें। चार घंटे तक जारी रहे इस विरोध के बाद परिषद के सफाई विभाग में अधिकारियों ने कर्मचारियों को समझाया बुझाया और इसके बाद हड़ताली खुद ही कार्यालय पहुंचे।
यहां भी चर्चा के बाद कर्मचारी अपने सीईओ के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हुए और जल्दी ही एक नए आंदोलन की चेतावनी दी।
कर्मचारियों ने बताया कि वे वर्षों से स्थायीकरण, अनुकंपा नियुक्ति, दस बीस व तीस के तहत पदोन्नति करने व वेतनमान देने के साथ ठेका पद्धति बंद करने की मांग कर रहे हैं लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन दिया जाता है, निकारण नहीं होता।
इस आंदोलन से पूरे शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई। जो कर्मचारी सुबह सफाई का काम कर रहे थे। सूचना मिलने के बाद बीच में ही काम बंद कर धरने में शामिल होने चले गए।
शहर में जगह-जगह कचरे व गंदगी के ढेर लगे रहे। इसके साथ ही ना ही डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले वाहन चले और ना ही निचली बस्तियों में टैंकर से पानी का वितरण हुआ।
इस दौरान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कैलाश दत्त पांडे, परिषद की उपाध्यक्ष अरूणा दत्त पांडे, कांता सोढानी, मुजीब कुरैशी, जितेंद्र शर्मा, बंटी खंडेलवाल व अशोक वर्मा भी मौके पर पहुंच गए, जिन्होंने बाद में सीईओ से बंद कमरे में चर्चा की व सभी कर्मचारियेां को कार्यालय बुलवाया।
यहां कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं के तत्काल निराकरण करने की बात कही। इस पर सीईओ मनीषा जाट ने सिलसिलेवार समस्याओं के बारे में अपने विचार व कार्रवाई की बात की। हालांकि कर्मचारी इसे लेकर संतुष्ट नहीं हुए।