पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी का कचरा जलना घातक, आंदोलन का सहारा लेंगे रहवासी

कचरा लाने की तारीख हो रही है तय, कांग्रेस और भाजपा दोनों एक साथ करेंगे विरोध

पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को जलाने की योजना से स्थानीय जनता और पर्यावरण पर पड़ने वाले संभावित खतरों को देखते हुए इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

इस औद्योगिक क्षेत्र के लोग भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अपने क्षेत्र में जलाने की सरकारी योजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इस फैसले से लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।

 

स्थानीय विरोध और चिंताएँ:  सरकार ने भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना बनाई है, लेकिन स्थानीय जनता और नेता इसके खिलाफ हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि कचरा जलाने से पहले सरकार ने स्थानीय लोगों की राय नहीं ली। इस निर्णय से 50 गांवों के लाखों लोग प्रभावित होंगे और प्रजनन दर और हार्मोन पर सीधा असर पड़ेगा। पीथमपुर में पहले ही कई जानवरों की मौतें और पानी का प्रदूषण हो चुका है।

पर्यावरण विशेषज्ञ हितेंद्र भावसार ने बताया कि भोपाल गैस त्रासदी के कचरे का जहर आज भी भोपाल के लोगों के खून में दौड़ रहा है। वहां के लोगों की प्रजनन दर कमजोर हो चुकी है।  इस कचरे से निकलने वाले रासायनिक तत्व से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इस कचरे को जलाने से पहले होने वाले सभी परीक्षण फेल हो चुके हैं।

सरकारी निर्णय और उसकी प्रतिक्रिया:  सरकार ने 337 मीट्रिक टन कचरे को नष्ट करने के लिए 126 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं और अब कचरे को लाने की तारीख तय की जा रही है। इस निर्णय के बाद सोशल मीडिया पर विरोध बढ़ गया है और लोग सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। रामकी कंपनी के पास स्थित तारपुरा गांव के हजारों लोग विरोध रैली निकालने की तैयारी कर रहे हैं।

 राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:  कांग्रेस इस फैसले के खिलाफ काला पट्टा बांधकर विरोध करने की योजना बना रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि अगर सरकार अपना फैसला नहीं बदलती है तो वे जन आंदोलन करेंगे। वहीं, भाजपा नेता संजय वैष्णव ने भी इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय विवाद और असफलताएँ:  इस जहरीले कचरे को नष्ट करने के पहले के प्रयास असफल रहे हैं। जर्मनी और अन्य राज्य इस कचरे को नष्ट करने से मना कर चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस कचरे के खतरों की पुष्टि की है। टीएसडीएफ के इंसिनरेटर पर किए गए परीक्षणों में से छह असफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप जहरीले रसायनों का उत्सर्जन हुआ है।

जनता की मांग: जनता और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि कचरे को ऐसी जगह ले जाया जाए जहां उसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर न पड़े। पीथमपुर की जनता अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगी और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने भी इस मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही है। समाजसेवी बलवीर रघुवंशी ने कहा कि सरकार का यह फैसला आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है और इसे सफल नहीं होने दिया जाएगा।

स्थानीय नेताओं की अपील:  भाजपा नेता नीना विक्रम वर्मा ने कहा कि पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने से वातावरण दूषित होगा और इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मामला मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया जाएगा और कचरे को पीथमपुर में नष्ट नहीं होने दिया जाएगा।

 

 

First Published on: July 28, 2024 11:14 PM