बुरहानपुर के आदिवासी नेता पर जिला बदर की कार्रवाई के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में बड़ा प्रदर्शन


अवासे आदिवासी समाज और वनों से जुड़े मामलों पर काम करते रहे हैं।


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उनकी बात Updated On :

बुरहानपुर में आदिवासी नेता अंतराम आवासे को जिला बदर कर दिया गया है। इसके विरोध में लोग प्रशासन के खिलाफ हो गए हैं। मंगलवार को इन लोगों ने बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। ये लोग जागृत आदिवासी दलित संगठन (JADS) के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे थे।

युवा आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता अंतराम अवासे के खिलाफ जिला बदर कार्रवाई के विरोध में बुधवार को JADS के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कलेक्ट्रेट का घेराव कर राज्य सरकार और जिला प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही आदिवासी महिला कार्यकर्ता आशा बाई सोलंकी ने कहा कि अंतराम अवासे और हमारे अन्य साथियों पर हो रहे हमलों से हम दबने वाले नहीं हैं। हम सब अंतराम हैं। अत्याचार के खिलाफ और अपने संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई से पीछे हटने वाले नहीं हैं, चाहे शासन प्रशासन कितना भी दमन और अत्याचार करे। जो सरकार जागरूक और संगठित आदिवासियों को अपना दुश्मन मान ले, वह सरकार हमारी नहीं। मध्य प्रदेश सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है, यह साफ़ हो चुका है।’

JADS संगठन के रतन अलावे ने कहा, ‘पिछले साल हुई अवैध वन कटाई के बारे में प्रशासन को सबसे पहले शिकायत कर कटाई पर तुरंत रोक लगाने की मांग उठाने वाले अंतराम अवासे के खिलाफ जिला प्रशासन ने जिला बदर आदेश पारित कर शासन- प्रशासन का आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने लाया है।’

अलावे ने बताया कि बुरहानपुर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले अंतराम अवासे जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता के रूप में वन अधिकार कानून, शिक्षा का अधिकार कानून, पेसा कानून जैसे कानून एवं आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के बारे में क्षेत्र में जागरूकता फैलाना का भी काम करते आ रहे हैं। लेकिन शासन-प्रशासन आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के बजाए, अपने कानूनी अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे आदिवासियों को दबाने के लिए ही सक्रिय होती है।

आलावे के मुताबिक अंतराम अवासे के खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही में लगाए गए सभी आरोप न केवल झूठे है, बल्कि इन आरोपों के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य भी पेश नहीं किए गए। अवैध वन कटाई में प्रशासन के लिप्त होने पर सवाल उठाने के बाद, उसी प्रशासन द्वारा आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता के खिलाफ चलाया गया हास्यास्पद प्रकरण से साफ है कि शासन प्रशासन अक्टूबर 2022 से चली 15000 एकड़ की अवैध वन कटाई और लकड़ी तस्करी में पूरी तरह से लिप्त रहा है। इस आदेश और जिले में हो रहे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। इस दौरान आदिवासियों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया।


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