भोपाल। साल 1984 में हुए भोपाल गैस कांड के पीड़ित एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मुआवजा देने के लिए दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था। केंद्र सरकार द्वारा कहा गया था कि गैस पीड़ितों को छह गुना मुआवजा मिल चुका है। इस बारे में अब गैस पीड़ित संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने कोर्ट में गलत जानकारी दी है और वे इस फैसले को चुनौती देंगे।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक शाहवर खान ने कहा कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात में भोपाल में गैस त्रासदी हुई थी। हजारों लोगों की मौत हो गई, जबकि लाखों लोग अब भी इससे परेशान हैं। वे कहते हैं कि आज भी गैस पीड़ितों के जख्म नहीं भर पाए हैं। पिछले दिनों गैस पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली याचिका को शीर्ष अदालत द्वारा 14 मार्च को खारिज कर दिया गया था। संयोजक खान ने बताया कि गैस कांड में तीन हजार मौतें मानी गईं थीं और इसके बाद वर्ष 1989 में एक लाख दो हजार लोगों को गैस के दुष्प्रभावों से प्रभावित पाया था। इसके बाद जब जांच की गई तो पता चला कि 5 लाख 74 हजार 375 गैस पीड़ित हुए थे। 15 हजार 274 मौतें हुई। इस फैसले को लेकर फिर से सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक एनडी जयप्रकाश ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गैस पीड़ितों को सिर्फ 52 हजार रुपए मिले हैं। ये सच्चाई है। 52 हजार रुपए छह गुना नहीं होता। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में गलत जानकारी दी है और अब संगठन इसे चैलेंज करेगा।
जयप्रकाश ने बताया कि गैस पीड़ितों का 1989 में 715 करोड़ रुपये का सेटलमेंट हुआ था। वे बताते हैं कि उस समय कहा गया था कि यह पैसा 1 लाख 5 हजार लोगों में बांटा जाएगा जबकि वह पैसा 5.75 लाख लोगों के बीच बांटा गया। ऐसे में एक पीड़ित को केवल 52 हजार रुपये मिले। जयप्रकाश ने कहा कि यह अन्याय है और इस आदेश को हम चुनौती देंगे और कोर्ट को बताएंगे कि यह बात गलत है कि हमें छह गुना मुआवजा मिल चुका है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय में बहुत सी गलतियां हैं।
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि कोर्ट बहुराष्ट्रीय कंपनी (पूर्व की यूनियन कार्बाइड और अब की डाऊ केमिकल्स) को गैस पीड़ितों को 7844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा चुकाने का आदेश दे। कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के मुआवजे में घोर लापरवाही पर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबित दावों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा RBI के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल किया जाएगा।