भोपाल गैसकांड बरसीः सीएम शिवराज सिंह पहुंचे गैस पीड़ितों के बीच, बनाएंगे स्मारक और शुरू करेंगे पेंशन


हर साल की तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल गैस कांड की बरसी पर गैस पीड़ितों के बीच पहुंचे। यहां उन्हें गैस पीड़ितों ने अपनी समस्याएं सुनाईं। मुख्यमंत्री ने यहां एक प्रार्थना सभा में भी भाग लिया। मुख्यमंत्री ने यहां त्रासदी की याद दिलाने वाला एक स्मारक बनाने और गैस पीड़ितों की पैंशन दोबारा शुरु करने की बात कही।


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उनकी बात Updated On :

भोपाल। गैस कांड़ की 36वीं बरसी पर आज भोपाल में कई आयोजन हो रहे हैं। हर साल की तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गैस पीड़ितों के बीच मिलने पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री ने गैस पीडि़तों की समस्याएं सुनीं। गैस पीड़ितों ने मुख्यमंत्री से अपनी कई तरह की समस्याओं के बारे में शिकायतें कीं। इस दौरान एक प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री ने भी भाग लिया। मुख्यमंत्री ने यहां गैस पीड़ितों की बंद की गई हज़ार रुपये महीने की पेंशन फिर शुरु करने की बात कही।

परमाणु बम का उपयोग न हो ये सीख देते हैं।गैस त्रासदी की भयावता को याद दिलाता एक स्मारक प्रदेश में बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी मंशा ज़ाहिर की है। मुख्यमंत्री गुरुवार को गैस पीड़ितों से मिल रहे थे। यहां एक प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया था। यहां मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी का स्मारक हमें भोपाल में जल्द बनाना चाहिए ताकि ये स्मारक दुनिया को सबक दे, हमें याद दिलाए कि कोई शहर भोपाल न बने। हम असुरक्षा से कोई चीज़ न बनाए जो इंसान पर भारी पड़े। जैसे हिरोशिमा और नागासाकी।

धरती को हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाकर रखना है। ऐसा न हो कि यह धरती मनुष्य के रहने के योग्य ही न रह जाये।

भोपाल में गैस पीड़ितों में स्वास्थ्य समस्याएं लगाता बढ़ रहीं हैं। संभावना ट्रस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पंद्रह वर्षों में गैस पीड़ितों को होने वाली बीमारियों की संख्या करीब तीन गुना तक बढ़ चुकी है। संभावना ट्रस्ट के क्लिनिक के डॉक्टर संजय श्रीवास्तव के मुताबिक 15 साल में 27 हजार 155 गैस पीड़ितों का इलाज यहां किया गया है। जिसके बाद ये आंकड़े सामने आए हैं। ट्रस्ट द्वारा इन मरीजों के स्वास्थ्य पर किए गए अध्ययन में पता चला है कि यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस से पीड़ित लोगों में वजन और मोटापे की समस्या स्वस्थ लोगों की तुलना में करीब तीन गुना तक ज्यादा है। इन मरीजों में इसी रोग से पीड़ित अन्य मरीजों के मुकाबले थायराइड या इससे संबंधित बीमारियों की दर करीब 2.7 गुना  ज्यादा है।

 



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