मध्य प्रदेश में जारी भारी बारिश के कारण बरगी बांध का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से मांग की है कि सभी गेट खुले रखे जाएं ताकि निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति न बन पाए। मौसम विभाग द्वारा पहले से जारी चेतावनी के बावजूद, पानी के बेहतर प्रबंधन की कमी से विस्थापित लोगों के लिए एक गंभीर संकट पैदा हो गया है।
जलस्तर और गेटों का प्रबंधन
11 सितंबर 2024 को, बरगी बांध का जलस्तर 422.85 मीटर तक पहुंच गया, जो इसकी पूर्ण क्षमता 422.76 मीटर से अधिक था। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, बांध के 17 गेट खोले गए ताकि पानी का प्रवाह नियंत्रित रहे और बांध के निचले इलाकों में बाढ़ न फैले। पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश के चलते बांध के कैचमेंट क्षेत्रों जैसे मंडला और डिंडोरी से पानी का भारी प्रवाह जारी है, जिससे बांध पर दबाव बढ़ गया है।
विस्थापितों की मांग और प्रशासन की कार्रवाई
विस्थापित एवं प्रभावित संघ के अध्यक्ष राज कुमार सिन्हा का कहना है कि प्रशासन ने बारिश के पूर्वानुमान और मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि बांध के जल स्तर को नियंत्रित करने के लिए गेटों को समय पर नहीं खोला गया, जिससे विस्थापित बस्तियों में पानी भर गया और कई गांवों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
संघ की मांग है कि बांध के गेट खुले रखे जाएं ताकि आने वाले दिनों में और अधिक पानी जमा न हो सके और बांध के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। इस बीच, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।
बाढ़ का खतरा और अलर्ट
बांध के गेट खुलने से नर्मदा नदी के किनारे बसे कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने इन क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया है और निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है। नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, और खंडवा जिलों में भी जलस्तर बढ़ने की सूचना है, जिससे वहां रहने वाले लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है।
भविष्य की तैयारियां
विस्थापित संघ का कहना है कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए प्रशासन को बांध के जल प्रबंधन और मौसम विभाग की चेतावनियों पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। इस बार की बारिश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेहतर तैयारी और समय पर कदम उठाने से बाढ़ और विस्थापन जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।