इंदौर। प्रदेश में हालही में हुई पटवारी परीक्षा के परिणाम आने के बाद अभी प्रक्रिया पूरी भी नहीं हुई है और इस परीक्षा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। इसे व्यापम का तीसरा चरण कहकर पुकारा जा रहा है। परीक्षा में ग्वालियर के एक कॉलेज का नाम तो पहले से ही चर्चा में था अब ऐसे करीब पंद्रह से अधिक सेंटर होने का दावा अभ्यर्थी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन्हीं सेंटरों द्वारा पैसे लेकर अभ्यर्थियों की परीक्षा देने में मदद और इस दौरान परीक्षा के लिए इस्तेमाल किए गए सॉफ्टवेयर में भी सेंधमारी की गई।
आरोप है कि इस पूरे मामले की खबर कर्मचारी चयन मंडल को भी थी क्योंकि उनकी रज़ामंदी के बिना यह संभव नहीं था। यही नहीं पर यह भी आरोप है कि उन्होंने पटवारी का रिजल्ट जारी करने से पहले अपनी वेबसाइट से अभ्यर्थियों के पुराने परीक्षा परिणाम हटा लिए थे। पटवारी परीक्षा के इस मामले को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी उठा रहे हैं। वहीं नेशनल एज्यूकेटेड यूथ ग्रुप भी इस मामले में आगे आया है। इस संस्था ने बीते साल बेरोजगारों की लड़ाई पुरजोर तरीके से लड़ी थी और अब हर जिले में प्रदर्शन की तैयारी हो रही है।
पिछले करीब एक हफ्ते से पटवारी परीक्षा में गड़बड़ी की खबरों की बातें की जा रहीं हैं। इसकी शुरुआत ग्वालियर में झांसी रोड पर स्थित एनआरआई कॉलेज के परीक्षार्थियों के परिणामों से हुई। इन अभ्यर्थियों में काफी अच्छे अंक आए हैं। इसके बाद अभ्यर्थी काफी समय से व्यापम से कई जानकारियां मांग रहे हैं। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने भी संभवतः इसी कॉलेज पर सवाल उठाया है। यह कॉलेज भिंड के विधायक संजीव सिंह कुशवाहा से संबंधित है।
कुशवाहा पहले बसपा में थे और अब वे भाजपा में आ चुके हैं। कुशवाहा ने मीडिया को बताया कि उनके कॉलेज पर आरोप लगाना गलत है क्योंकि परीक्षा लेने के लिए कॉलेज का चयन कर्मचारी चयन मंडल और परीक्षा प्रणाली का साफ्टवेयर बनाने वाली बैंगलुरु की कंपनी एडुकेटी ने किया था। हालांकि एडुकेटी कंपनी को पहले ही केंद्र सरकार द्वारा अयोग्य बताया जा चुका है। इसके बावजूद मप्र में यह कंपनी परीक्षा लेने के लिए अधिकारियों की नज़रों में समर्थ बताई जाती है।
पटवारी परीक्षा और कर्मचारी चयन मंडल पर सवाल उठाने वालों में कई अभ्यर्थी शामिल हैं लेकिन व्यापमं घोटाले के इतिहास के कारण इनकी पहचान उजागर करना ठीक नहीं है। इनमें से एक अभ्यर्थी ने बताया कि पटवारी परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए उसे भी पेशकश की गई थी लेकिन उसने इस बात को सामान्य मान कर छोड़ दिया। इसके अलावा रोहित नाम के एक अभ्यर्थी ने आरोप लगाया कि व्यापम इस पूरे काम में शामिल रहा है क्योंकि टॉपर की लिस्ट की मांग लगातार की जा रही थी लेकिन वह जून में तैयार होने के बाद भी तब तक जारी नहीं की गई जब तक दबाव बढ़ नहीं गया।
इसके अलावा अभ्यर्थी बताते हैं कि चयन मंडल की वेबसाइट पर अब आप कुछ पुराने परीक्षा परिणाम व्यक्तिगत जानकारी डालने पर नहीं देख सकते यानी जिन अभ्यर्थियों ने मेरिट में जगह बनाई है आप नहीं देख पाएंगे कि कुछ महीने पहले हुईं परीक्षाओं में उनका क्या स्कोर था। एक अभ्यर्थी बताते हैं कि इसी तरह 2021 में हुई कृषि अधिकारी की परीक्षा में गड़बड़ पकड़ी गई थी लेकिन व्यापम ने हालही में पुरानी परीक्षाओं के परिणाम हटा लिए हैं।
क्या स्क्रीन शेयर हो गई
रोहित ने यह भी आरोप लगाया कि जिन सेंटरों में यह हुआ है वहां के कंप्यूटर की स्क्रीन शेयर की गई यानी किसी ने पेपर दिया और किसी और ने इसे हल किया। इसका सीधा सा मतलब है कि परीक्षा के सॉफ्टवेयर में सेंधमारी की गई और इसकी जानकारी कर्मचारी चयन मंडल को मिल सकती है क्योंकि उनके पास मुख्य सर्वर है।
कई बार कंप्यूटर ठीक करने के लिए स्क्रीन शेयर करना सामान्य बात है लेकिन परीक्षा में ऐसा होना अचरज भरा है और ऐसा नहीं है कि यह हो ही नहीं सकता। मध्यप्रदेश की परीक्षाओं में स्क्रीन शेयरिंग पहले भी हुई है। खुद इसे मंडल ने माना है। अभ्यर्थी कहते हैं कि क्या कोई भी इस सॉफ्टवेयर को हैक कर सकता है।
अभ्यर्थियों के पुराने रिजल्ट गायब क्यों
अभ्यर्थी कहते हैं कि जो अच्छे नंबर लेकर आए हों लेकिन इसके लिए जरुरी है कि पारदर्शिता अपनाई जाए। ऐसे में कर्मचारी चयन मंडल को पुराने रिजल्ट वापस जारी करने चाहिए। इसके साथ ही सीआरएल शीट भी जारी करनी चाहिए इस शीट में यह पता चलता है कि अभ्यर्थी ने कितनी देर में सवाल हल किए हैं। इस बारे में एक अभ्यर्थी गोपनीयता की शर्त पर बताते हैं कि पटवारी परीक्षा में सफल हुए कई अभ्यर्थियों ने अपना पूरा पेपर आखिरी के बीस -तीस मिनिट में हल किया है लेकिन इसका सटीक पता तभी चल सकेगा जब सीआरएल शीट सामने आएगी।
अभ्यर्थियों से बात करने पर भर्ती परीक्षा पर कई आरोपों की शक्ल में सामने आए। इनमें से कई ऐसे थे जिनके मुताबिक पटवारी परीक्षा हमने इस बारे में व्यापम के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया लेकिन फिलहाल हम सफल नहीं हुए हैं जैसे ही उनका पक्ष आएगा हम इस खबर को अपडेट करेंगे।
नेशनल एज्युकेटेड यूथ यूनियन के राधे जाट ने बताया कि यह बड़ा घोटाला है। पटवारी परीक्षा से पहले ही सीटें बेचीं गईं और इनमें दस से पंद्रह लाख रुपये प्रति सीट लिए गए। इसमें सेंटरों से लेकर कर्मचारी चयन मंडल तक सभी लोग शामिल रहे। जाट के मुताबिक अब पुलिस उपनिरीक्षक के पद की परीक्षा से पहले ही सीटों के बिक्री की खबर आ रही है वे बताते हैं कि एक सीट पच्चीस से तीस लाख रुपये में बेची जा रही है।
जाट के मुताबिक इस मामल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और यह सामने नहीं आएगा अगर अभ्यर्थी आवाज़ नहीं उठाएंगे क्योंकि बेरोजगारी बहुत अधिक है और अभ्यर्थी कैसे भी अपनी नौकरी चाहते हैं और वे इसीलिए कुछ बोलते नहीं है और इसी का फायदा सरकारें उठाती हैं। जाट ने बताया कि पटवारी परीक्षा के परिणाम के बाद युवाओं में आक्रोष है और इसका प्रदर्शन तेरह जुलाई को सभी जिलों में होगा जब सभी अपने अपने जिले में अधिकारियों के नाम ज्ञापन देंगे।