खेती-किसानी की SMS सेवा बंद होने के बाद अब किसानों को नहीं मिलेगी मौसम की जानकारी


30 मार्च को प्रदेश की 13 और देशभर की 199 जिला कृषि मौसम इकाइयां हो जाएगी बंद, 400 से ज्यादा लोग हो जाएंगे बेरोजगार


ब्रजेश शर्मा
उनकी बात Updated On :

खेती और फसलों को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसानों को दी जाने वाली सलाह और सामयिक जानकारी के एसएमएस लगभग एक साल से बंद कर दिए जाने के बाद अब 30 मार्च से मध्यप्रदेश की 13 और देश की 200 कृषि मौसम इकाइयां बंद की जा रही हैं। जिससे लाखों किसानों को मौसम की जानकारी भी नहीं मिल सकेगी। देश की 200 मौसम इकाइयों में संविदा पर सेवाएं दे रहे 400 ज्यादा से लोग काम धंधे से बाहर कर दिए जाएंगे।

संदीप, एग्रीकल्चर मेट्रोलॉजी से एमएससी किए हुए हैं, एक जिला कृषि मौसम इकाई में कार्यरत हैं। उन्हें वैसे तो सेवाएं देते हुए 10 साल हो गए पर 30 मार्च के बाद अब बेरोजगार हो जाएंगे। उन्हें नए काम की तलाश करना होगी। इसकी चिंता उन्हें सता भी रही है कि अब 10 साल काम करने के बाद उन्हें नया ठिकाना कहां मिलता है।
इसके पहले वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में कार्य कर रहे थे पर 2019 में स्थापित हुई कृषि मौसम इकाई को उन्होंने ज्वाइन कर लिया था।

संदीप जैसे करीब 400 से ज्यादा लोगों के माथे पर यह चिंता है। उससे ज्यादा चिंता अब हजारों किसानों को है कि उन्हें यदा कदा मौसम की सटीक जानकारियां मिल जाती थीं जिससे उनके पास थोड़ी जानकारी हो जाती थी पर अब यह सब कुछ बंद हो जाएगा। खेती-बाड़ी सिर्फ राम भरोसे चलेगी इसके पहले सरकार कृषि विज्ञान केंद्रों से खेती-बाड़ी से जुड़े एसएमएस भेजना बंद कर चुकी है। मध्य प्रदेश सरकार और एसएमएस सेवा देने वाली प्रदाता कंपनी से एमओयू नहीं हुआ। इसके बाद कहा गया कि सारथी पोर्टल से एसएमएस मिलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

अब मध्य प्रदेश की 13 और देशभर की 199 जिला कृषि मौसम इकाइयां 30 मार्च को बंद की जा रही हैं। इनके बंद किए जाने के निर्देश कृषि विश्वविद्यालय तक पहुंच चुके हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में यह इकाइयां स्थापित हुई थीं जिनमें दो व्यक्ति सेवाएं देते थे । एक व्यक्ति कृषि वैज्ञानिक था तो दूसरा ऑब्जर्वर। यह किसानों को मौसम का पूर्वानुमान व संबंधित जानकारियां देते थे।

इन इकाईयों की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली और भारत मौसम विज्ञान विभाग के मध्य वर्ष 2019 में हुए करार यानि एमओयू के साथ हुई थी। फरवरी 2022 में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस योजना को 2026 तक बढ़ाने की घोषणा भी की थी लेकिन अब इस करार को समयावधि के पहले ही बंद किया जा रहा है।

बताया जाता है कि वित्तीय तंगहाली की वजह से यह इकाइयां बंद की जा रही है लेकिन इस मामले में इन इकाइयों में कार्यरत लोग कह रहे हैं कि मौसम विभाग और कृषि मंत्रालय में समन्वय नहीं है। कृषि मंत्रालय पैसा देता था लेकिन अब वह हाथ खड़े कर रहा है। इकाइयों के कर्मचारियों की वेतन पहले ही लेट लतीफ़ थे। यह इकाईयां मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र कटनी, रीवा, बालाघाट, शहडोल, छतरपुर, दमोह, सिंगरौली, गुना , खंडवा, शिवपुरी, राजगढ़ अशोकनगर और बड़वानी में संचालित हो रहीं हैं। मप्र की इकाई जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर एवं ग्वालियर के राजमाता कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।

 


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