भीड़ भरे चौराहे पर कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ झंडा बुलंद किये हुए एक आदमी


महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठे इस व्यक्ति को उम्मीद है कि एक दिन उनके इलाके के भी किसान कृषि कानूनों को समझेंगे।


DeshGaon
उनकी बात Updated On :

इंदौर। विवादित कृषि कानूनों को लेकर इंदौर में विरोध प्रदर्शन जारी है। बीते दो महीनों में यहां तमाम संस्थाओं ने साथ आकर अलग-अलग दिनों में कृषि कानूनों का विरोध किया है। इस बीच बीते करीब दस दिनों से यहां एक और प्रदर्शन भी चल रहा है। शहर के बीचों-बीच एक व्यस्ततम चौराहे पर एक व्यक्ति अकेले ही कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद किए हुए है। महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठे इस व्यक्ति को उम्मीद है कि एक दिन उनके इलाके के भी किसान कृषि कानूनों को समझेंगे।

इंदौर शहर के रीगल चौराहे पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता जयेश बार्चे अकेले कृषि कानूनों के ख़िलाफ झंडा उठाए हुए हैं। बीते 29 जनवरी से वे रोज़ाना यहां सुबह से रात तक बैठते हैं। महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठे जयेश के पीछे एक पोस्टर लगा हुआ है जो उनके यहां होने के मकसद को बताता है।

बार्चे अकेले ही यह  विरोध कर रहे हैं। वे संगंठनों के साथ भी प्रदर्शन में भाग ले चुके हैं और अब वे यहां बैठकर अपना पूरा सर्मथन आंदोलनरत किसानों को दे रहे हैं। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार तीनों नए कृषि कानून वापस ले।

जयेश के मुताबिक उनके साथ फिलहाल बहुत कम लोग आ रहे हैं इनमें किसानों की संख्या कम है लेकिन इसकी वजह दरअसल कृषि कानूनों के खतरों के बारे में किसानों को पूरी जानकारी नहीं होना है क्योंकि अगर किसानों को सही जानकारी होती तो वे निश्चित रुप से आज अपने-अपने तरीकों से इन कानूनों का विरोध कर रहे होते।

वे कहते हैं कि इस समय में उनकी पार्टी के तमाम नेताओं को यहां आकर इन कानूनों का विरोध करना चाहिए लेकिन अंदरूनी राजनीति के चलते उन्हें किसी का साथ नहीं मिला। हालांकि उन्हें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल रहा है और लोग कुछ समय निकालकर उनके साथ इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा भी लेने आते भी हैं।

उनका प्रदर्शन शुरु होने के बाद इंदौर शहर के बहुत कम अख़बारों या टीवी चैनलों पर उनके बारे में ख़बरें दिखाई गई हैं। यही हाल दूसरी संस्थाओं द्वारा किये गए प्रदर्शन का भी रहा है। जयेश बताते हैं कि कैसे कई बार अख़बारी फोटोग्राफर उनकी तस्वीरें दूर खड़े होकर लेते हैं लेकिन अख़बारों में उनकी ये तस्वीरें दिखाई नहीं देतीं।

इस भीड़ भरे चौराहे के बीचों-बीच बैठे होने के बावजूद भी उनके पास कम ही लोग आते हैं। उनके पास अपनी बात पहुंचाने का एक मात्र सहारा सोशल मीडिया है जहां से उनके बारे में कई लोगों को जानकारी मिल रही है। यहां से भी उन्हें कई लोगों का सर्मथन मिला है।

बार्चे कहते हैं कि वे अकेले ही सही लेकिन तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक केंद्र सरकार तीनों कानून वापस नहीं ले लेती। उनकी योजना स्थानीय सांसद शंकर लालवानी के घर पर जाकर प्रदर्शन करने की भी है। अब तक प्रशासन और राजनेता उनके इस विरोध प्रदर्शन को लेकर खास चिंतित नहीं हैं लेकिन जयेश का विरोध अब लोगों का ध्यान खींच रहा है।


Related





Exit mobile version