नरसिंहपुर। जिले में मौसम की मार से फसलों को ही अकेला नुकसान नहीं हुआ है बल्कि इसका असर मजदूरों व उनके परिवारों पर भी पड़ा है। दरअसल, मौसम की मार से तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य पिछड़ गया है जिससे तेंदूपत्ता श्रमिकों के करीब 60 हजार परिवारों को संग्रहण कार्य से जो कमाई होती, वह अब तक नहीं हो पा रही है।
नरसिंहपुर जिले में 27 हजार 500 बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य रखा गया है जिसकी बुकिंग भी पहले से हो चुकी है, लेकिन यह काम कब शुरू होगा इस पर संशय बना हुआ है क्योंकि वन विभाग का मानना है कि बिगड़े मौसम ने तेंदूपत्ता की गुणवत्ता को खराब कर दिया है।
इस बारे में जिला वन मंडल अधिकारी पीडी ग्रेबियाल बताते हैं कि
मौसम ने तेंदूपत्ता को नुकसान पहुंचाया है जिससे संग्रहण कार्य पिछड़ा है। हमने 10 या 12 मई से तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू करना तय किया था, लेकिन अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। जिले में संग्रहित तेंदूपत्ता की पहले ही बुकिंग हो गई है।
बता दें कि नरसिंहपुर जिले में वन विभाग ने मई माह के पहले पखवाड़े में ही तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य कराने की तैयारी की थी, लेकिन अचानक खराब हुए मौसम के कारण जंगल में तेंदूपत्ता खराब होने से विभाग ने संग्रहण कार्य को कुछ दिनो के लिए रोक दिया है।
इस बारे में वन विभाग का मानना है कि आंधी-बारिश से तेंदूपत्ता को नुकसान हुआ है और फिर उसके बाद कुछ दिन वातावरण में नमी व ठंडक होने के कारण तेंदूपत्ता सही तरीके से विकसित नहीं हो सका। तेंदूपत्ता को पनपने और अच्छी तरह विकसित होने के लिए ज्यादा गर्मी की जरूरत होती है।
जानकारी के मुताबिक, जिले में तेंदूपत्ता श्रमिकों के करीब 60 हजार परिवार हैं जिनको समय पर तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य होने से रोजगार मिल जाता, लेकिन मौसम की मार ने इन श्रमिकों से भी उनकी रोजी-रोटी का मौका छीन लिया है।
वैसे, राहत की बात यह है कि तेंदूपत्ता श्रमिकों के लिए वर्ष 2021-22 में किए गए संग्रहण कार्य का बोनस चार करोड़ दो लाख रूपये की राशि इनके खातों में भेजी जा रही है जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिल सकती है।