एक किसान कर्ज में इतना डूब गया कि उसने इससे बचने के लिए अपनी जान गंवा दी। युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने प्रकरण को जांच में लेकर उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
इंदौर कलेक्टर ने कहा कि लॉकडाउन काे आगे बढ़ाया जा रहा है। इस दौरान अनिवार्य सेवा, राशन दुकान, दवा दुकान, पेट्रोल पंप, एटीएम, बैंक, दूध व फल व सब्जी की दुकानें सुबह 9 बजे तक चालू रह सकती हैं।
उषा ठाकुर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में आती रही हैं। वे कोरोना को वैदिक पद्धति से दूर करने की बात कहती रहीं हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विभिन्न जिलों के आपदा प्रबंधन समूह के साथ हुई बैठक में जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की सिफारिश के बाद यह फैसला लिया गया है।
इसमें रवीश कुमार का दर्द भी छलकता नज़र आया है, जब वह बड़ी आजिजी से पूछते हैं कि ‘इस भयंकर ‘इकनॉमिक क्राइसिस; में भी मोदी के खिलाफ ‘एंटी-इनकंबेंसी’ क्यों नहीं है, और ममता बनर्जी के खिलाफ क्यों है?‘ (भले आदमी को यह भी याद नहीं कि ये पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव है, केंद्र में बनने वाली सरकार के लिए लोकसभा चुनाव नहीं) तो एक बड़ी पत्रकारा साक्षी जोशी का यह सवाल भी है कि ‘ममता बनर्जी लगातार रैलियों में रहती हैं, इतना व्यस्त उनका शेड्यूल है तो टॉयलेट कब जाती हैं या कैसे जाती हैं?’ (मने, अक्षय कुमार के आप आम कैसे खाते हैं, के बाद भारतीय मीडिया का यह नया शाहकार हमें मिला है)।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उज्जैन में लॉकडाउन की अवधि को एक सप्ताह बढ़ा दिया गया है। शनिवार को हुई क्राइसिस कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे ने यह प्रस्ताव दिया था, जो सीएम शिवराज को भी जचा। यही प्रस्ताव कलेक्टर मनीष सिंह की ओर से भी आया।
शुक्रवार का दिन शहर के लिए बेहद अफरा-तफरी भरा रहा। प्रदेश का सबसे बड़ा दवा बाजार भी कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए रेमेडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं करवा सका।
कोरोना संक्रमितों के परिजनों के मुताबिक, जब सरकार के नेता और प्रशासन के किसी अधिकारी को वाहवाही लूटनी होती है तो वो आगे आते हैं लेकिन वास्तविक हालात खराब होते हैं तो उनके पास किसी के लिये कोई समय नहीं है।
दमोह उपचुनाव के कारण यहां लॉकडाउन लागू नहीं है जबकि पूरे प्रदेश के बाज़ारों में लॉक डाउन से पहले अफ़रा-तफ़री मची रही। इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए हज़ारों लोगों की घंटों से लाइनें लगी हुईं हैं।
शाम होते ही लोग किराना दुकानों पर पहुंच गए। लोगों ने खरीदी के चक्कर में शारीरिक दूरी के नियम का पालन भी नहीं किया। जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान बहुत सारी छूट दी है, लेकिन उसके बाद भी लोगों ने नियमों की अवहेलना की तथा कोरोना संक्रमण को नजरअंदाज किया।
मंडेला – 5 अप्रैल यह तमिल फिल्म एक पॉलिटिकल स्टायर है जो एक गांव की राजनीतिक उठापटक के सहारे जातिवाद से लेकर तमिलनाडु के सामाजिक और राजनीतिक स्वभाव के बारे में टिप्पणी करती है. इसकी कहानी एक नाई के इर्द-गिर्द घूमती है जो वैसे तो गांव में हाशिए पर है लेकिन एक चुनाव के दौरान