प्रशासन द्वारा मकान तोड़े जाने के बाद आरोपी कांग्रेसी नेता की मां ने कहा कि पहले झूठे प्रकरण दर्ज करके पुलिस रिकॉर्ड बनाया और अब मकान तोड़ दिया। दो पक्षों में विवाद के दौरान आर्य पर गोली चलाने का है आरोप, तहसीलदार ने कहा- अतिक्रमण करके बनाया था मकान।
रोशनी के गोलों की तरह गिरते हुए यह किसी उल्का पिंड की तरह नजर आ रहे थे। यह रोशनी कुछ ही देर में ओझल हो गई। हालांकि इस दौरान लोगों ने इसे वीडियो में कैद कर लिया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार की तीन महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ किया। इसमें मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना का नगर निगम के बाद नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में विस्तार शामिल है।
प्रो. संजय द्विवेदी की नई पुस्तक 'भारतबोध का नया समय' का लोकार्पण गुरुवार, 31 मार्च को सायं 4 बजे नई दिल्ली में किया जाएगा।
सरकारी अस्पताल में बेटी को खो चुके पिता को जब उसका शव ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिली तो वह उसे अपने सीने से लगाए-लगाए ही 10 किमी पैदल घर पहुंचा।
सुजीत चौहान की हत्या के आरोपितों पर कार्रवाई, फरार आरोपियों पर दस हजार का इनाम। ग्रामीणों ने दी पुलिस-प्रशासन को धमकी- यदि पुलिस उनका एनकाउंटर नहीं करती है तो वे कर देंगे।
शहर के अलग-अलग इलाकों से युवा हुजूम के रूप में ढोल-ढमाकों के साथ यात्रा में सम्मिलित हुए। यात्रा के मद्देनजर शहर में अनेकों स्थानों पर केसरिया पताकाएं लगाई गई थी।
संपति कर व दुकानों के बकाया किराये की वसूली के लिए बकायादारों के मकानों तथा दुकानों के सामने बैंड-बाजे बजवाए गए। यह प्रयोग उनके यहां किया गया जिन पर लाखों रुपये की राशि बकाया है।
सट्टे के व्यापार में भी लिप्त बताया जाता है कि सुजीत की हत्या का आरोपी राजू खटीक, लोगों ने बताया जमीनों पर कब्जे, सट्टा कि हर महीने खातों में जमा होती है बडी रकम
पहली बार रंगपंचमी पर तीन आयोजन हुए जिसमें बड़ी संख्या में शहर के नागरिकों ने शामिल होकर पूरे जोश के साथ रंग-गुलाल उड़ाया। यह उत्साह सुबह से लेकर शाम तक रहा।
फाल्गुन पूर्णिमा के पांचवें दिन रंगपंचमी का त्योहार जिलेभर में धूमधाम से मनाया गया। रंगपंचमी पर रंग एवं भंग का जादू इस कदर चढ़ा कि लोग खुद को होली खेलने से नहीं रोक पाएं।
गोराकुंड, इतवारिया बाजार, नरसिंह बाजार से शुरू हुई गेर में लोगों की भीड़ राजवाड़ा से जवाहर मार्ग तक देखी गई। लोगों को वाहन पार्किंग की जगह नहीं मिल रही थी। इस बार राजवाड़ा में पैर रखने की भी जगह नहीं थी।