दिल्ली की सरहदों से छोटे गांवों तक पहुंच रहा किसान आंदोलन, दमोह के हटा में प्रदर्शन


बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह जिले की हटा तहसील के भैंसा गांव के किसान शनिवार को एक जुट हुए और केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ धरना दिया। यहां उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की और इन्हें देश की खेती किसानी के लिए खतरा बताया।


विनोद पटेरिया
दमोह Updated On :

दमोह। विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसानों की नाराज़गी अब बढ़ती जा रही है। किसान आंदोलन के लंबे होते जाने के साथ अब इसका विस्तार भी हो रहा है और यह विस्तार उन इलाकों में भी हो रहा है जहां भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व अधिक रहा है।

बुंदेलखंड क्षेत्र के दमोह जिले की हटा तहसील के भैंसा गांव के किसान शनिवार को एक जुट हुए और केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ धरना दिया। यहां उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की और इन्हें देश की खेती किसानी के लिए खतरा बताया।

किसानों ने कहा कि ये कानून किसान को कमजोर करने के लिए लाए गए हैं। किसानों की इस महापंचायत में भैंसा गांव के अलावा आसपास के गांवों के भी किसान मौजूद रहे। इन किसानों ने बताया कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक वे भी विरोध करेंगे। आने वाले दिनों में और भी गांवों में इस तरह के प्रदर्शन की खबरें आ सकती हैं।

गांव में सुबह से ही इस धरना प्रदर्शन की तैयारी की जा रही थी। सुबह से ही किसान महापंचायत में आने के लिए लोगों को बुला रहे थे। यहां पोस्टर और बैनर भी गांव में ही तैयार किए गए। स्थानीय किसानो कहा कि भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून किसान पुरजोर विरोध करते हैं।

यहां बैठे किसानों ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर भी अपनी चिंताएं जताईं। उन्होंने कहा कि पिछले सत्तर दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर अन्नदाता बैठे हैं और अब उन्हें रोकने के लिए सरकार सड़कों  पर कीलें लगा दी गई हैं। इस दौरान कितने ही किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन सरकार इसे लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं है और न ही वह किसानों की परेशानियों को समझ रही है।

भैंसागांव में किसानों के इस प्रदर्शन को लेकर प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार रोहित सिंह राजपूत भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों से ज्ञापन लिया।


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