‘E-PROSECUTION’ पोर्टल की मदद से यूपी ने महिला अपराध के खिलाफ कसी लगाम


उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में दोषसिद्धि की अग्रणी दर वाले राज्य के रूप में उभरा है।


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E-PROSECUTION

नई दिल्ली। ‘E-PROSECUTION’ यानि ‘ई-अभियोजन’ पोर्टल की मदद से उत्तर प्रदेश एक बार फिर देश में अग्रणी रहा है। दरअसल, इस पोर्टल की मदद से महिला अपराधों में अपराधियों को सजा दिलाने में बड़ी मदद मिल रही है।

ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल के जरिए महिला अपराध के खिलाफ यूपी सबसे अधिक संख्या में केस दर्ज करने और उनके निस्तारण के लिए शीर्ष स्थान पर रहा है। इससे साफ है कि राज्य सरकार की मंशा महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को शून्य करना है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने लगातार दूसरे वर्ष ई-अभियोजन पोर्टल यानि ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल के जरिए सबसे अधिक संख्या में केस दर्ज करने और उनके निस्तारण के लिए शीर्ष स्थान पर रहा है।

उत्तर प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में दोषसिद्धि की अग्रणी दर वाले राज्य के रूप में उभरा है।

2021 के बाद 2022 में लगातार दूसरे साल यूपी रहा आगे –

ई-अभियोजन पोर्टल के जरिए सबसे ज्यादा संख्या में मामले दर्ज करने और उनके निस्तारण में उत्तर प्रदेश वर्ष 2021 के बाद 2022 में भी शीर्ष पर रहा है।

इसके लिए हाल ही में एक ट्रॉफी भी मिली है, उसे जिलों में भी भेजा जाएगा ताकि अभियोजकों और पुलिस अधिकारियों के अंदर मामलों में सजा सुनिश्चित करने में उनकी कड़ी मेहनत को लेकर गर्व की भावना पैदा हो सके।

फरवरी तक यूपी में 1.11 करोड़ मामले पोर्टल पर हुए दर्ज –

फरवरी तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1,11,86,030 मामले पोर्टल पर दर्ज किए गए, इसके बाद मध्य प्रदेश में 29,31,335 मामले, बिहार में 11,89,288 मामले, गुजरात में 5,16,310 और छत्तीसगढ़ में 4,71,265 मामले दर्ज किए गए।

ई-अभियोजन पोर्टल क्या है –

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत केंद्र द्वारा प्रबंधित यह पोर्टल इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) के तहत पुलिस विभाग और अभियोजन निदेशालय के बीच संवाद सुनिश्चित करता है।

यह अदालतों, पुलिस, जेलों और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के बीच डेटा के हस्तांतरण को सक्षम बनाता है जिसका उद्देश्य पीड़ितों और उनके परिवारों को समय पर न्याय प्रदान करना है।

कैसे हो रहा इस पोर्टल का प्रबंधन –

इस पोर्टल के प्रबंधन की बात करें तो अधिकारी गवाहों को अदालत में उनकी उपस्थिति के दिन के बारे में सूचित करके मामलों के त्वरित निपटान पर नजर रखने के लिए पोर्टल का उपयोग करते हैं।

इसके संबंध में सरकारी अधिवक्ताओं और अन्य संबंधितों को अग्रिम रूप से प्रासंगिक जानकारी प्रदान की जाती है ताकि अभियोजन पक्ष को सजा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत मामला तैयार करने में मदद मिल सके।

2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी में सजा दर –

साल 2021 में, महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में उत्तर प्रदेश में सजा दर राष्ट्रीय औसत 26.5% के मुकाबले 59.1% थी।

इसी से अंदाजा लगाया जा सकते है कि बीते दो साल में यूपी ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में अपराधियों को सजा दिलाने का कार्य किया है।

सजा सुनिश्चित करने में यूपी ने लगातार किया सुधार –

इस पोर्टल के जरिए ही सजा सुनिश्चित करने में भी यूपी ने लगातार सुधार किया है। आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार के मामलों में, 2020 में 177 की तुलना में 2022 में 671 मामलों में सजा हुई।

इसी तरह, POCSO अधिनियम के तहत 2020 में 535 की तुलना में 2,313 मामलों में सजा दी गई। पिछले साल POCSO मामलों में 34 चार्जशीट दायर करने के एक महीने के भीतर अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया था।

वहीं पिछले दो वर्षों में दहेज के लिए हत्या, अपहरण और यौन उत्पीड़न के मामलों में सजा दर में क्रमश: 220%, 475% और 2,075% की वृद्धि हुई है। इस पोर्टल के जरिए सरकार के ‘Digital India Mission’ को भी बढ़ावा मिल रहा है।


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