वाराणसी। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए कमिश्नर को नहीं बदला जाएगा। गुरुवार को वाराणसी की निचली अदालत ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने इस मामले में 17 मई को सर्वे रिपोर्ट मांगी है यानी, इससे पहले सर्वे पूरा करना होगा। कोर्ट ने कहा कि सर्वे में बाधा डालने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने दो सहायक कमिश्नर भी नियुक्त करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने आदेश दिया है कि सुबह 8 बजे से लेकर 12 बजे तक चप्पे-चप्पे का सर्वे किया जाएगा। इस दौरान कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ-साथ सहायक कमिश्नर विशाल और अजय प्रताप मौजूद रहेंगे।
Gyanvapi mosque survey verdict | 2 more lawyers have been appointed as commissioners to accompany the Court commissioner Ajay Mishra for the survey.The Commission to submit report by May 17 before the court: Adv Madan Mohan Yadav, representing Hindu petitioners in court,Varanasi pic.twitter.com/VGIJCNufW6
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 12, 2022
मुस्लिम पक्ष ने इस मामले में कमिश्नर अजय मिश्रा को यह कहते हुए बदलने की मांग की थी कि वे एक पार्टी की तरह काम कर रहे हैं। तीन दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बुधवार को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पिछले महीने वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर कमिश्नर नियुक्त करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इस मामले में वीडियोग्राफी करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट की पांच बड़ी बातें
- सर्वे के दौरान वादी, प्रतिवादी, एडवोकेट, एडवोकेट कमिश्नर और उनके सहायक व सर्वे से संबंधित के अलावा और कोई नहीं होगा।
- कमिश्नर कहीं भी फोटोग्राफी के लिए स्वतंत्र होंगे। चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी की जाएगी।
- जिला प्रशासन ताले को खुलवाकर या ताले को तुड़वाकर भी सर्वे कराएगा। डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी मॉनिटरिंग करे।
- सर्वे पूरा कराने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी DM, पुलिस कमिश्नर की होगी।
- जिला प्रशासन बहाना बनाकर सर्वे की कार्रवाई को टालने का प्रयास नहीं करेंगे।
बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की रोजाना पूजा-अर्चना को लेकर याचिका दायर की गई है। 18 अगस्त 2021 को पांच महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है।