USCIRF रिपोर्ट: भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक


यूएससीआईआरएफ की हालिया रिपोर्ट में 2024 के दौरान भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति को “गंभीर और चिंताजनक” बताया गया है, जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, धार्मिक स्थलों को तोड़फोड़ और विवादास्पद कानूनों का उल्लेख है। भारतीय सरकार ने इस रिपोर्ट को पक्षपाती बताते हुए खारिज किया है और इसे एक “राजनीतिक एजेंडा” करार दिया है।


DeshGaon
बड़ी बात Published On :

वॉशिंगटन डीसी स्थित यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने 2 अक्टूबर को भारत पर एक ताजा रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2024 के दौरान देश में “धार्मिक स्वतंत्रता की गिरती हुई स्थिति” को रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं, धार्मिक स्थलों को नष्ट करना और धार्मिक नेताओं की मनमानी गिरफ्तारी में वृद्धि हुई है। भारतीय सरकार ने इस रिपोर्ट को पक्षपाती और गलत जानकारी पर आधारित बताकर खारिज कर दिया है।

 

यूएससीआईआरएफ क्या है?

यूएससीआईआरएफ एक स्वतंत्र, द्विदलीय अमेरिकी संघीय एजेंसी है जो 1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत बनाई गई थी। इसका उद्देश्य अमेरिका के बाहर धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति की निगरानी करना है और यह हर साल उन देशों की सूची जारी करती है जो धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन में संलिप्त होते हैं। इसके रिपोर्ट्स को अमेरिकी विदेश विभाग के “देशों के विशेष चिंता” (सीपीसी) की श्रेणी में शामिल करने के लिए सिफारिश के रूप में देखा जाता है।

 

रिपोर्ट में भारत के बारे में क्या कहा गया है?

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति “गंभीर और चिंताजनक” स्तर पर है। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 जैसे कानूनों और “धार्मिक परिवर्तन विरोधी कानूनों, गौहत्या कानूनों और आतंकवाद विरोधी कानूनों” के जरिए धार्मिक अल्पसंख्यकों पर दमन की स्थिति बनी हुई है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों ने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ नफरत भरे बयान और गलत जानकारी फैलाकर हिंसा और धार्मिक स्थलों के विध्वंस को बढ़ावा दिया है। रिपोर्ट में भारत को “विशेष चिंता के देश” के रूप में चिह्नित किया गया है।

 

भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि “यूएससीआईआरएफ एक पक्षपाती संगठन है जो राजनीतिक एजेंडा चला रहा है। यह संगठन लगातार भारत के बारे में गलत जानकारी पेश करता रहा है और इस रिपोर्ट का उद्देश्य यूएससीआईआरएफ की साख को कम करना है।”

 

क्या यूएससीआईआरएफ की सिफारिशें बाध्यकारी हैं?

नहीं, यूएससीआईआरएफ की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होती हैं। यह अमेरिका के विदेश विभाग पर निर्भर करता है कि वह इन्हें स्वीकार करे या न करे। आम तौर पर, द्विपक्षीय संबंधों और विदेश नीति के व्यापक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाता है।

 

रिपोर्ट की आलोचना

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट को अनुसंधान और विभिन्न घरेलू व अंतरराष्ट्रीय मीडिया के स्रोतों के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें प्रत्यक्ष गवाही भी शामिल है। हालांकि, इसके प्रकाशन की समय-सीमा को लेकर सवाल उठाए गए हैं, खासकर जब सरकार ने इसे एक “एजेंडा-चालित” प्रयास बताया है।

 


Related





Exit mobile version