अमेरिकी राष्ट्रपति की झूठे बयान पर भाजपा ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर लगा डाले संगीन आरोप! $21 मिलियन की फंडिंग भारत नहीं बांग्लादेश के लिए थी


अमेरिका द्वारा रद्द की गई $21 मिलियन की फंडिंग भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए थी। बावजूद इसके, बीजेपी ने इसे विदेशी हस्तक्षेप का मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर निशाना साधा। पढ़ें पूरी खबर।


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बड़ी बात Published On :

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका के “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी” (DOGE) द्वारा हाल ही में कई विदेशी सहायता परियोजनाओं को रद्द करने की घोषणा की गई। इनमें से एक विवादित प्रोजेक्ट था— “भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने” के लिए $21 मिलियन फंडिंग। इस फैसले के बाद भारत में राजनीतिक हलचल तेज हो गई, क्योंकि बीजेपी ने इसे कांग्रेस और विदेशी हस्तक्षेप से जोड़ते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। लेकिन हकीकत कुछ और थी।

 

क्या है सच्चाई?

भारतीय अखबार The Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की यह फंडिंग भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए थी। यह राशि 2022 में USAID (United States Agency for International Development) द्वारा बांग्लादेश में लोकतांत्रिक जागरूकता और नागरिक सगाई को बढ़ावा देने के लिए मंजूर की गई थी।

DOGE द्वारा सार्वजनिक की गई लिस्ट में CEPPS (Consortium for Elections and Political Process Strengthening) नामक एक अमेरिकी संगठन को यह ग्रांट देने की बात थी, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर काम करता है।

USAID ने “Amar Vote Amar” (मेरा वोट मेरा) नामक प्रोजेक्ट के लिए जुलाई 2022 में $21 मिलियन की मंजूरी दी थी, जिसे बाद में “Nagorik Program” में बदल दिया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बांग्लादेश के युवाओं में राजनीतिक जागरूकता पैदा करना था, विशेष रूप से जनवरी 2024 में हुए आम चुनावों से पहले।

 

कैसे खर्च हुए थे ये पैसे?

इस राशि में से $13.4 मिलियन पहले ही खर्च हो चुके थे।

इसे IFES (International Foundation for Electoral Systems), IRI (International Republican Institute) और NDI (National Democratic Institute) को वितरित किया गया था।

इन संगठनों ने बांग्लादेश की यूनिवर्सिटियों में 544 युवा नेतृत्व और लोकतंत्र कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें 10,264 छात्रों ने भाग लिया।

अमेरिका के IRI द्वारा 2023 में कराए गए एक सर्वे में पाया गया कि ज्यादातर बांग्लादेशी नागरिक अपनी सरकार से असंतुष्ट थे।

बीजेपी ने क्यों उठाए सवाल?

अमेरिका में ट्रंप के बयान— “क्यों हमें भारत में वोटर टर्नआउट के लिए $21 मिलियन खर्च करने चाहिए?” के बाद बीजेपी ने इसे भारत में विदेशी हस्तक्षेप का मुद्दा बना दिया।

बीजेपी प्रवक्ताओं ने दावा किया कि विदेशी ताकतें भारत में कांग्रेस को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही थीं। हालांकि, सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 2008 के बाद से भारत में USAID की ऐसी कोई फंडिंग नहीं हुई।

 

क्या इस मुद्दे पर कांग्रेस को सफाई देनी होगी?

अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि यह पैसा भारत में नहीं, बल्कि बांग्लादेश में खर्च हुआ था, तो बीजेपी के आरोपों का कोई आधार नहीं बचता। लेकिन इस विवाद ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि भारत में विदेशी फंडिंग से जुड़े मामलों पर ज्यादा पारदर्शिता की जरूरत है।

 

क्या USAID का फैसला बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित करेगा?

इस फंडिंग का बड़ा हिस्सा शेख हसीना सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने और युवाओं को लोकतांत्रिक गतिविधियों में शामिल करने पर खर्च किया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फंडिंग से जुड़े कार्यक्रमों के जरिए हसीना सरकार की आलोचना बढ़ी।

अमेरिका द्वारा अचानक इस सहायता को रोकने से यह भी स्पष्ट होता है कि ट्रंप प्रशासन बांग्लादेश में अपने पिछले रुख की समीक्षा कर रहा है।

DOGE की सूची में शामिल यह विवादास्पद ग्रांट भारत से संबंधित नहीं थी, फिर भी बीजेपी ने इसे एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया। हालांकि, तथ्य यह साबित करते हैं कि यह फंडिंग बांग्लादेश में लोकतंत्र और नागरिक जागरूकता के नाम पर खर्च की गई थी, न कि भारत में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए।

अब देखने वाली बात यह होगी कि भारत सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाते हैं, और क्या ट्रंप प्रशासन भविष्य में ऐसे किसी और विदेशी अनुदान की समीक्षा करेगा।

 


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