जाति भेदभाव मिटाकर एकजुट हों: मोहन भागवत का विजयदशमी पर संदेश”


विजयदशमी पर नागपुर में अपने भाषण में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समाज से जातिगत भेदभाव मिटाने और दलितों व कमजोर वर्गों के साथ एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी त्यौहार पूरे समाज द्वारा मिलकर मनाए जाने चाहिए और समाज में सामाजिक समरसता और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने की जरूरत है। साथ ही, उन्होंने राजनीतिक दलों पर स्वार्थ के लिए समाज को बांटने का आरोप लगाया और बाहरी ताकतों द्वारा देश में अस्थिरता फैलाने की चेतावनी दी।


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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को विजयदशमी के मौके पर नागपुर में दिए अपने भाषण में देश को जाति और समुदाय के आधार पर बांटने की कोशिशों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थ के लिए ऐसी ताकतों का साथ दे रहे हैं। भागवत ने हिंदू समाज से जातिगत भेदभाव को खत्म कर दलितों और कमजोर वर्गों से जुड़ने की अपील की।

 

भागवत ने सवाल उठाया कि वाल्मीकि जयंती सिर्फ वाल्मीकि कॉलोनी में ही क्यों मनाई जाती है? उन्होंने कहा, “वाल्मीकि ने रामायण पूरे हिंदू समाज के लिए लिखी थी, इसलिए सभी को एक साथ वाल्मीकि जयंती और रविदास जयंती मनानी चाहिए। सारे त्यौहार पूरे हिंदू समाज द्वारा मिलकर मनाए जाने चाहिए। हम इस संदेश को समाज में लेकर जाएंगे।”

 

उन्होंने जोर दिया कि एक स्वस्थ और सशक्त समाज के लिए पहली शर्त सामाजिक समरसता और विभिन्न वर्गों के बीच आपसी सद्भाव है। यह सिर्फ प्रतीकात्मक कार्यक्रमों से संभव नहीं हो सकता, बल्कि समाज के हर वर्ग में व्यक्तियों और परिवारों के बीच मित्रता होनी चाहिए।

भागवत ने यह भी कहा कि समाज के हर वर्ग को सार्वजनिक स्थानों जैसे मंदिर, पानी के स्रोत और श्मशान जैसी जगहों पर समान भागीदारी मिलनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक बैठक में वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने बताया कि उनके बच्चों के लिए स्कूल नहीं हैं। राजपूत समुदाय के लोग वहां थे और उन्होंने कहा कि वे अपने स्कूल में 20% बच्चों को मुफ्त में पढ़ाएंगे। उन्होंने इसे परिवार के मजबूत सदस्यों द्वारा कमजोर सदस्यों के लिए मदद की भावना से जोड़कर समझाया।

 

भागवत ने यह भी कहा कि ‘डीप स्टेट’, ‘वोकिज्म’ और ‘कल्चरल मार्क्सिस्ट’ जैसे शब्द इन दिनों चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि यह समूह समाज में असंतोष पैदा कर उसे विभाजित करता है और समाज में दरारें पैदा करके संघर्ष बढ़ाता है।

उन्होंने कुछ राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्ता पाने की होड़ में समाज की एकता और अखंडता को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने अरब स्प्रिंग और बांग्लादेश की स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के सीमावर्ती और जनजातीय क्षेत्रों में भी ऐसी बुरी कोशिशें हो रही हैं।

 

भागवत ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदुओं को संगठित होकर एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में डॉक्टर की हत्या के मामले पर भी राज्य सरकार की आलोचना की और इसे शर्मनाक बताया।

इससे पहले भी भागवत ने कई बार जातिगत विभाजन को खत्म करने पर जोर दिया है, लेकिन इस बार उन्होंने सामाजिक समरसता को लेकर विस्तार से बात की।

 


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