देश में बच्चों के लापता होने की घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं। भारत सरकार के मुताबिक बीते पांच वर्षों में देश भर में करीब 2,75,125 (दो लाख पचहतर हज़ार एक सौ पच्चीस) बच्चे लापता हुए हैं और इसमें से करीब 80 प्रतिशत लड़कियां हैं। यही नहीं मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल है जहां बच्चे सबसे ज्यादा गायब हो रहे हैं। यहां बीते पांच वर्षों में साठ हजार से अधिक बच्चे लापता हुए हैं। भारत में नागरिकों के लापता होने का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। 2021 में यह आंकड़ा बीते साल के मुकाबले 20.6 प्रतिशत अधिक रहा।
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजेंद्र सिंह के द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि भारत सरकार के ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 1 जनवरी 2018 से लेकर 30 जून 2023 तक देश में कुल 2,75,125 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से 62,237 लड़के और 2,12,825 लड़कियां हैं वहीं 63 अन्य शामिल हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में ही देश में 77,535 बच्चे लापता हुए हैं और यह संख्या बीते साल 2020 के मुकाबले 30.8% अधिक है।
मध्य प्रदेश में गायब बुए 61,102 बच्चों के बाद पश्चिम बंगाल का नंबर आता है जहां 49,129 बच्चे लापता हुए वहीं तीसरे नंबर पर कर्नाटक है जहां 27,528 बच्चे और चौथे नंबर पर दिल्ली है जहां 22,964 बच्चे लापता हुए हैं और पांचवें नंबर पर गुजरात जहां कुल 20,081 बच्चे अपने परिवार से बिछड़े हैं। वहीं अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड में 1-1-1 बच्चे के लापता होने की जानकारी लोकसभा में दी गई है।
लोकसभा में बताया गया कि लापता बच्चों का पता लगाने के लिए एक खोया-पाया वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। इसमें कोई भी नागरिक बच्चे खोने और पाए जाने की जानकारी अपडेट कर सकता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय, राज्यों, गृह मंत्रालय, रेलवे और अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर ट्रैक चाइल्ड पोर्टल पर काम कर रहा है।
मंत्री स्मृति इरानी ने एक अन्य सवाल के जवाब में जानकारी दी कि बच्चों के कल्याण एवं पुनर्वास के लिए ‘मिशन वात्सल्य’ योजना चलाई जा रही है। साल 2023-24 में 17 जुलाई तक इस योजना के लिए 12.82 करोड़, साल 2022-23 में 1042.91 करोड़ और 2021-22 में 761.09 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया है। वहीं चाइल्ड प्रोटेक्शन सर्विस पर मंत्रालय ने साल 2020-21 में 846.63 करोड़ का फंड जारी किया था।
मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चे गायब हुए हैं। इस परेशानी को मप्र के जिम्मेदार समझ रहे हैं और इसी को देखते हुए पिछले दिनों आईआईएम इंदौर और इंदौर पुलिस ने मिलकर एक संयुक्त अभियान शुरु करने के लिए एक एमओयू साइन किया है। इसके तहत एक अभियान शुरु किया जा रहा है। वहीं अन्य शहरों में भी इसी प्रकार के कार्यक्रम शुरु करने पर विचार चल रहा है।