ऑक्सीजन न मिलने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती बारह मरीज़ों की मौत


क्सीजन का प्रेशर अचानक कम हो गया और 25 तक पहुंच गया था। जिसके बाद जिन मरीजों को ऑक्सीजन लगी थी उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी और देखते ही देखते वे तड़पने लगे।


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शहडोल। प्रदेश में कोरोना पीड़ित मरीज़ बीमारी के अलावा संसाधनों की कमी से भी मर रहे हैं। शहडोल में अब एक साथ बारह मरीजों की जान ऑक्सीजन न मिलने के कारण गई है। हालांकि खबरों की मानें तो मरने वालों की संख्या इससे या उससे अधिक हो सकती है। बारह मौतों की पुष्टि शहडोल के अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने की है।

यह घटना मेडिकल कॉलेज में हुई है। जहां बीते चौबीस घंटों में दस और लोगों की मौत हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद शिरालकर ने भी ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की पुष्टि की है।

घटना शनिवार रात करीब साढ़े बारह बजे की है जब ऑक्सीजन का प्रेशर अचानक कम हो गया और 25 तक पहुंच गया था जिसके बाद जिन मरीजों को ऑक्सीजन लगी थी उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी और देखते ही देखते वे तड़पने लगे।

इस बीच उनके परिजन मास्क को ज़ोर से उनके चेहरे पर दबा रहे थे ताकि उन्हें आक्सीजन मिल सके और वे सांस ले सकें। इस बीच धीरे-धीरे मरीज़ों की मौत होती रही और सुबह छह बजे तक करीब बारह मरीज़ों की मौत हो चुकी थी। इसके बाद मरीज़ों के परिजनों ने खासा हंगामा किया।

इसके बाद प्रशासनिक अमला डैमेज कंट्रोल में जुट गया और ऑक्सीजन के नए सिलेंडरों की व्यवस्था की गई। हालांकि यह भी सुबह नौ बजे के बाद हो सका।

मेडिकल कॉलेज में ये हाल तब है जब कुछ समय पहले ही कमिश्नर राजीव शर्मा ने यहां का दौरा किया था और व्यवस्थाएं जांची थीं। उस समय उनके साथ कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह, अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा समेत कई अधिकारी और डॉक्टर भी थे।

इससे पहले 15 अप्रैल को जबलपुर में पांच और 16 अप्रैल को उज्जैन में छह मरीजों की मौत ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण हुई थी।


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