टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी और अमीश देवगन को नहीं मिल रही सुप्रीम कोर्ट से राहत


अमीश देवगन जिन्होंने प्रसिद्ध सूफ़ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बार में अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद उनके खिलाफ राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना  राज्यों में करीब सात एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने इन एफआईआर को अजमेर ट्रांसफर करने के लिए भी कहा है। वहीं अर्नब गोस्वामी चाहते थे कि मुंबई पुलिस द्वारा उनके चैनल की संपादकीय टीम पर हो रही कार्रवाई रोकी जाए।


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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से देश के दो बड़े पत्रकारों को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इन दोनों ही पत्रकारों के खिलाफ़ दर्ज की गई एफआईआर रद्द करने से इंकार कर दिया है। इन पत्रकारों के नाम हैं अमीश देवगन और अर्नब गोस्वामी।

अमीश देवगन जिन्होंने प्रसिद्ध सूफ़ी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बार में अपमान जनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद उनके खिलाफ राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना  राज्यों में करीब सात एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने इन एफआईआर को अजमेर ट्रांसफर करने के लिए भी कहा है।

अमीश देवगन राष्ट्रीय मीडिया पर आरपार नाम का  एक टीवी शो करते हैं। इसी शो में उन्होंने 15 जून को उपासना स्थल अधिनियम कानून पर चर्चा कर रहे थे। इसी चर्चा में उन्होंने संत मोईनुद्दीन चिश्ती को हमलावर और लुटेरा कहा था। जिसके बाद उन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने, दो समुदायों के बीच मतभेद बढ़ाने जैसी धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि देवगन ने अपने टीवी कार्यक्रम में इसके लिए माफ़ी भी मांगी थी और ट्विटर  के ज़रिए भी अपनी सफ़ाई पेश की थी।

SC refuses to quash FIRs against news anchor Amish Devgan for his alleged defamatory comment against Sufi saint Khwaja Moinuddin Chisti

 

इसके अलावा रिपब्लिक चैनल के मालिक और प्रमुख एंकर अर्नब गोस्वामी को भी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी चैनल चलाने वाली कंपनी ए आर जी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और अर्नब गोस्वामी के द्वारा लगाई गई याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। यह याचिका मुंबई पुलिस द्वारा रिपब्लिक चैनलों के संपादकीय टीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ लगाई गई थी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की एक बेंच ने याचिका पर विचार करने से इंकार तो किया ही साथ ही सुझाव दिया कि इस याचिका को वापस ले लिया जाए और अन्य उपायों का पालन किया जाए।

देश में कानूनी मामलों की खबर देने वाली वेबसाइट लाइवलॉ के मुताबिक याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट मिलिंद साठे बहस कर रहे थे किपिछले कुछ महीनों से चैनल और उसके कर्मचारियों के पीछे पड़ने से सुरक्षा की मांग करते हुए दायर की गई है।

याचिका में रिपब्लिक के कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत संघ को निर्देश देने, सभी मामलों में सीबीआई को स्थानांतरित करने और महाराष्ट्र पुलिस को रिपब्लिक कर्मचारियों को गिरफ्तार करने से रोकने जैसी अपील की गई थी। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने एडवोकेट साठे से कहा कि यह थोड़ा महत्वकांक्षी है।

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने एडवोकेट साथी को सुझाव दिया कि बेहतर होगा कि आप इसे वापस ले ले।उल्लेखनीय है कि 23 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी की संपादकीय टीम और एंकरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें पुलिस ने आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी उस रिपोर्ट में पुलिस अधिकारियों के बीच नफरत को उकसाया जिसमें  कहा गया था कि मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ विद्रोह भड़क रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पिछले दिनों अर्णब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने एक मामले में जमानत दी थी। वहीं अक्टूबर में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने टीआरपी घोटाले की प्राथमिकी के खिलाफ गोस्वामी द्वारा एक और रिट याचिका पर सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया था।

 


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