इंदौर। एक जनवरी की शाम को शहर के मुनरो कैफे में कॉमेडियन मुनव्वर फारुख़ी के साथ तथाकथित हिंदूवादी संगठन के सदस्यों द्वारा मारपीट की गई और उन्हें थाने ले जाया गया। कॉमेडियन मुनव्वर पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने शो में हिन्दू देवी-देवताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह का अपमान किया था।
अब पुलिस का कहना है कि फारुख़ी के ख़िलाफ़ उन्हें कोई सुबूत नहीं मिले हैं। जो भी वीडियो पेश किये जा रहे हैं उनमें फारुख़ी ऐसा कुछ भी अपमानजनक कहते नज़र नहीं आए हैं। इंदौर के तुकोगंज थाना प्रभारी कमलेश शर्मा ने ख़ुद यह बात कही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल पुलिस के पास फारुख़ी के ख़िलाफ़ कोई ठोस सुबूत नहीं हैं।
इंदौर की विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ ने फारुख़ी के शो में जाकर हंगामा किया था और उनके साथ मारपीट की थी। एकलव्य ने खुद को हिन्दू रक्षा संगठन नाम के एक संगठन से जुड़ा बताया था।
इस दौरान फारुखी सहित शो को-ऑर्डिनेटर एडविन एनथौनी निवासी विजय नगर, स्टेंडअप कामेडियन प्रखर प्रतीक व्यास गिरधर नगर, प्रियम पिता प्रतीक व्यास और आयोजक नलिन पिता धर्मेंद्र यादव निवासी छत्रछाया काॅलोनी पीथमपुर धार को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें कोर्ट से जेल भेज दिया गया।
This @munawar0018 episode shames us all. As a democracy; as a country mature enough to enjoy a laugh;as a society that does not discriminate on the basis of religion; as a state system where the law& police work impartially. In none of these categories can we hold our head high. https://t.co/7oN9bCB2LK
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 4, 2021
इस घटना के साथ फारुख़ी से मिलने आए उनके दोस्त के साथ भी कुछ लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में मारपीट की थी। इसके बाद हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने के लिए फारुख़ी की काफ़ी आलोचना भी हुई थी, लेकिन अब जब उनके खिलाफ़ कोई सुबूत ही नहीं मिला है तो क्या एक आज़ाद देश में फारुखी के साथ ऐसा सुलूक करने वाले लोगों पर कोई कार्ऱवाई की जाएगी।
ख़बर लिखे जाने तक फारुखी पर हमला करने वालों की ओर से किसी तरह का कोई जवाब नहीं आया था।
इस घटना पर काफ़ी वीडियो ट्विटर पर शेयर किये जा रहे थे जिनमें फारुख़ी और विरोध करने आए लोग बात कर रहे थे, लेकिन इस दौरान भी फारुख़ी ने किसी तरह के अपमानजनक शब्दों का प्रयोग नहीं किया था। शो में मौजूद कई लोगों ने घटना के बारे में लिखा और इसे पूरी तरह अलोकतांत्रिक बताया।