हाईकोर्ट के फैसले के बाद डॉक्टरों की हड़ताल खत्म


मंत्रियों के साथ चिकित्सा महासंघ के पदाधिकारियों की बैठक बेनतीजा रही।


DeshGaon
बड़ी बात Updated On :

भोपाल। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बुधवार का दिन जनता के लिए मुश्किल भरा रहा। इस बीच लोग परेशान होते नजर आए और ग्वालियर में तो एक व्यक्ति की जान तक चली गई। हालांकि शाम होते होते हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की इस हड़ताल को अवैध बता दिया और उन्हें भविष्य में ऐसा न करने की हिदायत दी और कुछ ही देर बाद डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी।

इससे पहले राज्य सरकार को इस दौरान निजी अस्पतालों और डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ी। बड़े शहरों में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को जिम्मेदारी दी गई।  इससे व्यवस्था से स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ा। प्रदेश में पहली बार स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग के डाक्टरों के अलावा जूनियर डाक्टर भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं।

इससे पहले चिकित्सक महासंघ के पदाधिकारियों ने प्रदेश के मंत्रियों से मिलकर समाधान निकालने की कोशिश की लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। डॉक्टरों ने मंगलवार को गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डा. प्रभुराम चौधरी के साथ बैठक की थी।

अहम मांगें…

  • महासंघ प्रमुख रूप से डायनमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसिव स्कीम (डीएसीपी) के लिए मांग कर रहा है। जिसके अंतर्गत डाक्टरों को तय समय पर एक वेतनमान देने की मांग है।
  • केंद्र, बिहार एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के चिकित्सकों हेतु डीएसीपी का प्रविधान। इससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा।
  • विभाग में कार्यरत समस्त बंधपत्र चिकित्सकों का वेतन समकक्ष संविदा चिकित्सकों के समतुल्य करना।

हड़ताल के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में स्वास्थ्य आयुक्त जॉन किंग्सले ने मीडिया को बताया कि सरकारी सेवा में रहते हुए पीजी के लिए आने वाले जूनियर डाक्टर, इंटर्न डाक्टर काम करेंगे। निजी मेडिकल कालेज के डाक्टरों को बुलाया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भी भेजेंगे। नर्सिंग होम्स की सेवाएं ली जाएंगी। बंधपत्र वाले चिकित्सकों ने आंदोलन किया तो उनकी बंधपत्र की अवधि अधूरी मानी जाएगी।



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