संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली पर अतिक्रमण और साधना स्थल पर तबेला, सरकार मना रही है सौवां तानसेन संगीत समारोह


तानसेन समारोह पर करोड़ों खर्च लेकिन जर्जर हो चुकी संगीत सम्राट की जन्म और साधना स्थली से अतिक्रमण नहीं हटवा पा रहे ग्वालियर प्रशासन और दिग्गज नेता


DeshGaon
बड़ी बात Updated On :

ग्वालियर में जन्मे संगीत सम्राट तानसेन के नाम पर होने वाला सौवां तानसेन संगीत समारोह शुरू हो चुका है। इसे लेकर सरकार बहुत उत्साहित है लेकिन ये उत्साह केवल सरकारी है क्योंकि जहां तानसेन पैदा हुए थे उसकी खबर किसी ने नहीं ली है। यही वजह है कि तानसेन एक आरटीआई कार्यकर्ता के सपने में आ रहे हैं और अपने घर को ठीक करने की अपील कर रहे हैं।

ग्वालियर जिले के बेहट गांव में स्थित संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली और साधना स्थल पर अतिक्रमण और गंदगी पसरी हुई है। समारोहों पर करोड़ों खर्च करने वाली सरकारी विभागों को इसकी खबर तो है लेकिन वे इसे लेकर परेशान नहीं हैं क्योंकि लोग तानसेन को अब इन समारोहों के कारण ही याद रखते हैं।

तानसेन के घर पर अब अन्य लोगों का कब्जा है। आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने मौके पर जाकर इसकी जानकारी ली।

ऐसे में व्यापमं घोटाले के व्हिसलब्लोअर और आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने इन ऐतिहासिक स्थलों को अतिक्रमण मुक्त कराने और विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखा है। चतुर्वेदी का कहना है कि तानसेन की जन्मस्थली ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में यह स्थान उपेक्षा का शिकार है। भू-माफियाओं ने इस पर कब्जा कर रखा है और यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री

तानसेन ने सपने में आकर मांगी मदद: चतुर्वेदी

चतुर्वेदी ने अपनी बात कुछ इस तरह रखी कि नेता शायद उन्हें सुन लें, उन्होंने कहा कि तानसेन ने सपने में आकर उनसे अपनी जन्मस्थली और साधना स्थल को अतिक्रमण मुक्त कराने की गुजारिश की है। चतुर्वेदी ने इसे अपनी जिम्मेदारी मानते हुए इस मुद्दे को सार्वजनिक और प्रशासनिक स्तर पर उठाया है। वे कहते हैं कि  “तानसेन की आत्मा ने मुझे प्रेरित किया है। वे कहते हैं कि वे उनकी जन्मस्थली की इस स्थिति को लेकर बेहद व्यथित हैं। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का अपमान है।”

नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री

नरेंद्र सिंह तोमर से मिला टालमटोल जवाब

आशीष कहते हैं कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री और ग्वालियर राजघराने के महराज ज्योतिरादित्य सिंधिया और इलाके के दिग्गज नेता और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर से इस बारे में कदम उठाने की अपील की थी जिसके बाद सिंधिया तो इसे लेकर गंभीर दिखे लेकिन तोमर के दफ्तर से इसे लगातार टालने की कोशिश की गई। चतुर्वेदी बताते हैं कि तोमर के निज सचिव रघुवंशी ने इस उपेक्षित मुद्दे पर गंभीरता से नहीं लिया और बात को वरिष्ठ नेता के पास तक नहीं पहुंचाया, ऐसे में  अब वे तोमर की ओर से निराश हैं और उम्मीद करते हैं कि सिंधिया इसे लेकर जल्दी ही कोई बड़ा कदम उठाएंगे।

प्रशासन से की यह मांगें

आरटीआई कार्यकर्ता ने प्रशासन और सरकार से तीन प्रमुख मांगें की हैं:

  1. तानसेन की जन्मस्थली और साधना स्थल को अतिक्रमण मुक्त किया जाए।
  2. इन स्थलों को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत संरक्षित और विकसित किया जाए।
  3. इन स्थलों को प्राचीन स्मारक और पुरातात्त्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित घोषित किया जाए।

उन्होंने कहा कि तानसेन की जन्मस्थली और साधना स्थल को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।

पुरातात्त्विक विभाग भी मानता है अतिक्रमण है

चतुर्वेदी ने आरटीआई के जरिए जानकारी प्राप्त की है कि पुरातात्त्विक विभाग ने भी इन स्थलों पर अतिक्रमण की पुष्टि की है। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आशीष कहते हैं कि यह विडंबना ही है कि पुरात्तव विभाग इस बात को जानता है और फिर भी कलेक्टर और अधिकारी अतिक्रमण हटाने के लिए आगे नहीं आते लेकिन हर साल लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करते हैं लेकिन उन्होंने

PMAY के तहत संरक्षण की मांग

चतुर्वेदी ने अपने पत्र में यह भी सुझाव दिया है कि तानसेन की जन्मस्थली को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शामिल किया जाए। उन्होंने तर्क दिया कि यह योजना हर नागरिक को आवास प्रदान करने का दावा करती है, तो तानसेन जैसे महान संगीतकार की जन्मस्थली को इस योजना के तहत क्यों न संरक्षित किया जाए।

स्थानीय समर्थन और आंदोलन की चेतावनी

ग्वालियर के स्थानीय निवासियों ने भी चतुर्वेदी के इस कदम का समर्थन किया है। लोगों का मानना है कि तानसेन की जन्मस्थली को संरक्षित करना केवल इतिहास का सम्मान नहीं, बल्कि ग्वालियर की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना है।

आशीष चतुर्वेदी ने कहा, “यदि प्रशासन और सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो मैं व्यापक जन समर्थन के साथ आंदोलन छेड़ दूंगा। यह केवल मेरा नहीं, पूरे ग्वालियर और देश का मुद्दा है।”

बेहट गांव: धरोहर पर गंदगी के ढेर

बेहट गांव, जहां तानसेन का जन्म हुआ था, आज भू-माफियाओं और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। झिलमिल नदी के किनारे स्थित उनका साधना स्थल भी अतिक्रमण और गंदगी से भरा हुआ है। इन स्थानों पर कचरे का अंबार है, जो तानसेन की विरासत का अपमान है।

सरकार से जवाबदेही

चतुर्वेदी ने अपने पत्र में कहा है कि तानसेन जैसे महान संगीतकार की जन्मस्थली को अतिक्रमण मुक्त कराना और संरक्षित करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी अपील की है कि प्रधानमंत्री और सांसद इस मुद्दे पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दें और इसे राष्ट्रीय महत्व का विषय मानें।


Related





Exit mobile version