दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अनुशंसा की गई है। इससे पहले जस्टिस कैत को जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाना था, लेकिन अब इस निर्णय को संशोधित किया गया है और उन्हें मध्य प्रदेश भेजा जा रहा है।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत का न्यायिक करियर:
जस्टिस कैत का जन्म 24 मई 1963 को हरियाणा के कैथल जिले के ककौत गांव में हुआ। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मानविकी में स्नातक किया और बाद में राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर। दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद, 1989 में वकील के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता के रूप में भी सेवा दी।
महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले:
- जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंसा केस: जस्टिस कैत ने जामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के मामलों पर सुनवाई की थी और कई महत्वपूर्ण आदेश दिए थे, जिसमें संवैधानिक मूल्यों की रक्षा पर बल दिया गया था।
- CAA विरोध प्रदर्शन: उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से जुड़े विरोध प्रदर्शनों पर महत्वपूर्ण सुनवाई की और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की।
- जनहित याचिकाएं: जस्टिस कैत ने कई जनहित याचिकाओं (PIL) पर भी काम किया, जिनमें सार्वजनिक अधिकारों और हितों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया था। उनके फैसले व्यापक रूप से अनुसरण किए जाते हैं और न्यायिक समुदाय में आदर की दृष्टि से देखे जाते हैं।
न्यायिक निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा:
जस्टिस सुरेश कुमार कैत न्यायपालिका में अपने निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की और लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करते हुए निर्णय दिए। उनके द्वारा दिए गए कई फैसले सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे हैं और इन पर व्यापक चर्चा हुई है, जिससे न्यायपालिका में उनका सम्मान और भी बढ़ा है।
आगामी भूमिका:
जस्टिस कैत 2025 में सेवानिवृत्त होंगे, और इस दौरान वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय देने के लिए तैयार हैं। उनकी यह नियुक्ति न केवल मध्य प्रदेश न्यायिक प्रणाली को सशक्त बनाएगी बल्कि संवैधानिक न्याय की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
उनकी नियुक्ति को लेकर कॉलेजियम द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि वह एससी वर्ग से आते हैं और ऑल इंडिया हाईकोर्ट जजों की वरिष्ठता सूची में पांचवें स्थान पर हैं।