सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश: सिर्फ आरोप के आधार पर बुलडोजर नहीं चल सकता


सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि केवल आरोप के आधार पर किसी की संपत्ति नहीं गिराई जा सकती। कोर्ट ने सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं और पूरे देश के लिए गाइडलाइंस जारी करने की बात कही है, ताकि इस प्रकार की कार्रवाई कानूनी दायरे में हो और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।


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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देशभर में चल रहे बुलडोजर कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि केवल आरोपित होने के आधार पर किसी की संपत्ति पर कार्रवाई नहीं की जा सकती। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया कि भले ही कोई दोषी हो, फिर भी ऐसी कार्रवाई कानूनी रूप से गलत है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

 

यह सुनवाई जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर हो रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाकर बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। याचिका में दावा किया गया कि इस कार्रवाई का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को डराना और उनका उत्पीड़न करना है। जमीयत के वकील फारूक रशीद ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकारें बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए, पीड़ितों को अपना बचाव करने का मौका दिए बिना ही उनके घरों पर बुलडोजर चला रही हैं।

 

इस पर केंद्र सरकार ने अपनी दलील में कहा कि किसी भी आरोपी की संपत्ति इसलिए नहीं गिराई गई क्योंकि उसने कोई अपराध किया है, बल्कि यह कार्रवाई केवल अवैध निर्माण के खिलाफ म्युनिसिपल एक्ट के तहत की गई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में इस बात को दोहराया कि अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई केवल नगर निगम के कानून के अनुसार ही की गई है।

 

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह अवैध निर्माण के बचाव में नहीं है, लेकिन किसी भी विध्वंस से पहले कानून का सख्ती से पालन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम सभी पक्षों से सुझाव लेकर देशभर के लिए गाइडलाइंस जारी कर सकते हैं ताकि इस प्रकार की कार्रवाई को नियंत्रित किया जा सके। जस्टिस गवई ने कहा कि यदि सरकार इस बात को स्वीकार करती है कि केवल आरोपी होने के आधार पर संपत्ति नहीं गिराई जा सकती, तो यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है और इसे ध्यान में रखते हुए गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।

 

जस्टिस विश्वनाथन ने भी जोर देकर कहा कि विध्वंस की कार्रवाई से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है, जिसमें नोटिस जारी करना, जवाब देने का समय देना और सभी कानूनी उपायों को अपनाना शामिल है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि कोई व्यक्ति आरोपी है, उसके खिलाफ तुरंत विध्वंस की कार्रवाई करना न्यायसंगत नहीं है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में गाइडलाइंस जारी की जाएंगी, जो पूरे देश में लागू होंगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में इस प्रकार की कार्रवाई न्याय के दायरे में हो और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके।



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