नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए इस मामले की जांच रिटायर्ड जज आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमिटी को सौंपी है।
पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। बुधवार को इस मामले में सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने अपना फैसला सुनाया।
तीन जजों की बेंच ने साफ कहा कि किसी भी प्रकार की विवेकहीन जासूसी को बिल्कुल भी मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया गया है जिसमें उनके साथ आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय भी हिस्सा होंगे। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार का स्टैंड पूरी तरह से साफ नहीं था। कोर्ट ने किसी भी प्रकार की निजता के उल्लंघन की जांच की बात कही है।
Pegasus matter | Supreme Court says there has been no specific denial by Centre in the issue, thus we have no option but to accept the submissions of petitioner prima facie and we appoint an expert committee whose function will be overseen by the Supreme Court. pic.twitter.com/JUoGEaqLzo
— ANI (@ANI) October 27, 2021
बता दें कि 23 सितंबर को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा था कि वह एक कमिटी का गठन करना चाहते हैं। कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से कमिटी में शामिल होने में असमर्थता जताई है। इस कारण आदेश जारी करने में विलंब हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं लंबित हैं। ये याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा समेत कई जानी-मानी हस्तियों ने दायर की हैं।
इन याचिकाओं में राजनेताओं, पत्रकारों, पूर्व जजों और सामान्य नागरिकों की पेगासस स्पाईवेयर के ज़रिये जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। मामले की जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को आदेश सुरक्षित रखा था।
इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि वह एक विशेषज्ञ कमिटी बनाएगी, जिसमें सरकार का कोई आदमी नहीं होगा। यह कमिटी कोर्ट की निगरानी में काम करेगी और कोर्ट को रिपोर्ट देगी।