MP पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण पर नहीं होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्टे


सुप्रीम कोर्ट ने मप्र राज्‍य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं। वहीं निर्देश को न मानने पर पंचायत चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं।


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Supreme Court of India

नई दिल्ली। मध्‍यप्रदेश पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने स्‍टे लगा दिया है और इस मामले पर अगली सुनवाई 27 जनवरी को निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र राज्‍य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि ओबीसी आरक्षण आधार पर पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं। वहीं निर्देश को न मानने पर पंचायत चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं।

बता दें कि मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया सहित अन्य प्रक्रिया का पालन नहीं करने को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने तल्ख अंदाज में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई। कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण मामले में आग से नहीं खेले।

भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाड़ा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने पक्ष रखा। दोपहर दो बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई।

लगभग आधे घंटे चले इस सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाती रही। महाराष्ट्र चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि ओबीसी मामले में आग से मत खेलो आबीसी सीटो के आरक्षण पर रोक लगाते हुए इस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस नेता विवेक तन्खा के मुताबिक, राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए गए हैं कि चुनाव संविधान के हिसाब से हो तो ही कराइए। मध्यप्रदेश में आरक्षण रोटेशन का पालन नहीं किया गया। यह संविधान की धारा 243 C और D का साफ उल्लंघन है। हालांकि, अभी सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश आना बाकी है।

मामले में राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद चुनाव रोकने पर निर्णय लिया जाएगा। दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग दोराहे पर है क्योंकि 18 दिसंबर को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण किए जाने हैं। यह प्रक्रिया पहले से तय थी और इसे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कराने वाला है।

पहले यह प्रक्रिया 14 दिसंबर को होनी थी, लेकिन मामला कोर्ट में होने की वजह से इसे पांच दिन बढ़ाकर 18 दिसंबर तय किया गया था। इसी बीच कोर्ट ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा है कि चुनाव संविधान के हिसाब से ही हो अन्यथा रद्द करें।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका पर तत्काल सुनवाई न होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे स्वीकार करते हुए शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की थी।

याचिकाकर्ताओं के साथ ही मध्यप्रदेश सरकार सहित अन्य पक्षकारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को स्पष्ट कर चुका है कि मध्यप्रदेश में होने वाला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आदेश के अधीन होगा।



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