सरकारों के बुल्डोज़र जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, अब इमारत गिराने से पहले 15 दिन की नोटिस ज़रूरी, अधिकारी भी खतरे में…


सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ध्वस्तीकरण पर सख्त निर्देश जारी किए हैं। अब किसी भी घर को गिराने से पहले 15 दिन की नोटिस देना अनिवार्य होगा ताकि प्रभावित व्यक्ति अपनी बात रख सके। बिना नोटिस ध्वस्तीकरण करने पर अधिकारियों को खुद मुआवजा देना पड़ेगा। यह फैसला उन राज्यों के लिए बड़ी राहत है, जहां हाल के वर्षों में बिना चेतावनी के कई घर गिरा दिए गए थे।


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बुल्डोजर जस्टिस पर सुप्रीम कोर्टः देशगांव न्यूज

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में अवैध रूप से हो रहे ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी आरोपी के अपराध के आधार पर उसके घर को बिना उचित प्रक्रिया के ध्वस्त करना असंवैधानिक है। इस फैसले से अब राज्य सरकारों को किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले संबंधित व्यक्तियों को 15 दिन की नोटिस देना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश खासतौर पर उन राज्यों के लिए महत्वपूर्ण है जहां हाल ही में बिना उचित नोटिस के संपत्तियों को ध्वस्त किया गया है। इस बुल्डोज़र जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर उसके परिवार के अन्य सदस्यों को सजा देना गैरकानूनी है। यह आदेश देशभर में प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।

 

मध्य प्रदेश में बुल्डोज़र जस्टिस की सूरत: क्या कहते हैं प्रदेश के कानून?

मध्य प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1961 के अनुसार, बिना अनुमति के किसी भी निर्माण को ध्वस्त करने से पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस देना आवश्यक है। लेकिन हाल के कई मामलों में देखा गया है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की, जिससे प्रभावित परिवारों को काफी परेशानी हुई।

उदाहरण के तौर पर:

  • जून 2024 में, मध्य प्रदेश के एक जिले में एक मजदूर के घर को तब ध्वस्त कर दिया गया जब उसके बेटे पर सामुदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगाया गया। प्रशासन ने उसी दिन कार्रवाई कर दी, जबकि कोई नोटिस नहीं दिया गया था। इस घटना ने व्यापक विवाद खड़ा कर दिया और इसे अदालत में चुनौती दी गई।
  • उदयपुर, राजस्थान में, अगस्त 2024 में एक किशोर के खिलाफ अपराध का आरोप लगने के बाद उसके परिवार का घर रातोंरात तोड़ दिया गया। यहाँ भी नोटिस की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जो राज्य के कानून का स्पष्ट उल्लंघन था।

नए दिशा-निर्देशों का क्या असर होगा?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य सरकारों को अब किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले 15 दिन की नोटिस देना अनिवार्य होगा। नोटिस में स्पष्ट कारण बताना होगा और सुनवाई की तिथि का उल्लेख करना होगा। अगर कोई अधिकारी इन निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, पीड़ित परिवार को मुआवजा भी देना पड़ सकता है।

यह आदेश खासतौर पर मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में अहम है, जहां हाल के महीनों में बिना नोटिस के ध्वस्तीकरण की कई घटनाएं हुई हैं। अब प्रशासन को पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना होगा।

 बुल्डोज़र जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का महत्व

  • न्याय का अधिकार: किसी भी व्यक्ति को आरोप साबित होने से पहले दोषी नहीं माना जा सकता। इस आदेश से यह सुनिश्चित होगा कि निर्दोष लोग प्रशासनिक तानाशाही का शिकार न हों।
  • आर्थिक नुकसान की भरपाई: अगर निर्देशों का उल्लंघन कर ध्वस्तीकरण किया गया, तो अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से मुआवजा देना पड़ सकता है, जिससे सरकारी अधिकारियों पर जवाबदेही बढ़ेगी।
  • आम नागरिकों की सुरक्षा: अब किसी भी व्यक्ति को बिना उचित प्रक्रिया के उसकी संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकेगा, जिससे लोगों का कानून में विश्वास मजबूत होगा।

 


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