भोपाल। कोरोना महामारी के दौरान लोगों के इलाज को लेकर सरकारें भले ही बहुत अधिक गंभीर न दिख रहीं हों लेकिन न्यायपालिका हालात को देखकर खासी चिंतित है। देशभर की अदालतें मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने को लेकर चिंतित और बेहद नाराज़ हैं। इसे लेकर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी टिप्पणी की है।
मंगलवार को हाईकोर्ट ने सख्ती से कहा है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होने से कोरोना संक्रमित मरीज़ों की मौत हो रही है, यह अपराध है और यह अपराध किसी नरसंहार से कम नहीं हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी केंद्र सरकार पर एक सख़्त टिप्पणी की और कहा कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर दबाकर बैठ सकते हैं हम नहीं।
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों, अस्पतालों की हालत और क्वारंटीन सेंटरों की स्थिति पर दायर की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने यह टिप्पणी की।
इसी दौरान लखनऊ और मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों पर में कोर्ट ने यह सख़्त टिप्पणी की। इसके साथ ही दोनों जिलों के डीएम को ऐसी खबरों की 48 घंटे में जांच कर अगली सुनवाई पर ऑनलाइन पेश होकर रिपोर्ट देने को कहा है।
कोर्ट ने कहा, ‘कोरोना मरीजों को मरते देख हम दुखी हैं। यह उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं, जिन पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी है। हम अपने लोगों को इस तरह कैसे मरने दे सकते हैं, जबकि विज्ञान इतना एडवांस है कि आज हार्ट ट्रांसप्लांटेशन और ब्रेन सर्जरी भी हो रही हैं।’
हाईकोर्ट ने कहा कि अमूमन हम राज्य सरकार और जिला प्रशासन को सोशल मीडिया पर वायरल खबरों की जांच करने के लिए नहीं कहते, लेकिन इस मामले से जुड़े वकील भी इस तरह की खबरों का जिक्र कर रहे हैं। उनका यहां तक उनका है कि राज्य के बाकी जिलों में भी यही स्थिति है। इसलिए हमें (कोर्ट) सरकार को तुरंत कदम उठाने के आदेश देना जरूरी लगा।
इसके अलावा दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठे रह सकते हैं हम नहीं।
इसके बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करने के आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों न आपके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए।