महाराष्ट्र की राजनीति में फिर बवाल, अब एनसीपी में टूट, शरद पवार को छोड़ भतीजे अजित अब बने डिप्टी सीएम


आज सुबह अजित पवार के आवास पर एनसीपी नेताओं की बैठक बुलाई गई, जो बाद में पार्टी के अन्य नेताओं के साथ राज्यपाल रमेश बैस से मिलने राजभवन पहुंचे।


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भोपाल। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने रविवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के साथ ही महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वह भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस के साथ अपना यह पद साझा करेंगे।

 

पवार के अलावा, आठ और विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने की शपथ ली है। इनमें छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, हसन मुश्रीफ,
धनंजय मुंडे, धर्मोबाबा अत्राम, अदिति तटकरे, संजय बनसोडे और अनिल पाटिल शामिल हैं।

अपनी शपथ के बाद अजित पवार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने देश के विकास के लिए एकनाथ शिंदे सरकार का हिस्सा बनने का फैसला किया है। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की।

अजित पवार ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में  में कोई विभाजन नहीं है, उन्होंने कहा कि वे भविष्य के सभी चुनाव राकांपा के नाम और प्रतीक पर लड़ेंगे। उन्होंने  कहा कि  (पार्टी के) सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों ने सरकार में शामिल होने के फैसले का समर्थन किया है।

भाजपा के साथ सत्ता साझा करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर हम शिवसेना के साथ जा सकते हैं, तो हम भाजपा के साथ भी जा सकते हैं। नागालैंड में भी यही हुआ है। इस फैसले में सभी को एवं समग्र विकास को ध्यान में रखा गया। हमारे पास प्रशासन का व्यापक अनुभव है, हम इसका उपयोग अच्छे कार्यों में कर सकते हैं।”

आज सुबह अजित पवार के आवास पर एनसीपी नेताओं की बैठक बुलाई गई, जो बाद में पार्टी के अन्य नेताओं के साथ राज्यपाल रमेश बैस से मिलने राजभवन पहुंचे। इसके बाद पवार को महाराष्ट्र के दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी उपस्थित थे।

कहा जाता है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में काम करने का अवसर नहीं दिए जाने के बाद पवार असंतुष्ट थे। इससे पहले, उन्होंने संगठनात्मक जिम्मेदारी की मांग करते हुए विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। 2019 में, उन्होंने भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस के साथ हाथ मिलाया था और फड़नवीस के साथ मुख्यमंत्री के रूप में राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालाँकि, विद्रोह तीन दिनों से अधिक नहीं चल सका और अजीत पवार राकांपा में लौट आए।


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