किसान संगठनों में फूटः 15 मिनट में दो संगठनों ने खुद को आंदोलन से किया अलग, हिंसा पर जताया दुख


वीएम सिंह की अगुवाई वाली राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने बुधवार को शाम साढ़े चार बजे खुद को आंदोलन से अलग करने की घोषणा कर दी। साथ ही चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने भी आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।


Manish Kumar
बड़ी बात Updated On :
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ तकरीबन दो माह से आंदोलन कर रहे किसानों द्वारा गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर दिल्ली में निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद किसान संगठनों में फूट पड़ती दिख रही है।

वीएम सिंह की अगुवाई वाली राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने बुधवार को शाम साढ़े चार बजे खुद को आंदोलन से अलग करने की घोषणा कर दी। साथ ही चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने भी आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रमुख वीएम सिंह ने कहा कि कोई आंदोलन इस तरह नहीं चल सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो हंगामा और हिंसा हुई, उसकी जिम्मेदारी भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत को लेनी चाहिए।

वहीं, चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुए हिंसा पर दुख जताया और आंदोलन वापस लेने की घोषणा की। भानुप्रताप सिंह बोले कि मंगलवार को दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उससे मैं बहुत आहत हूं और 58 दिनों का अपना विरोध खत्म कर रहा हूं। किसान हल चलाता है, कुछ लोगों ने उन्हें पागल बना दिया। वे किसी ऐसे नेता के चक्कर में न पड़ें, जो अपना नाम बनाने के लिए देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।

बता दें कि दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए हिंसा के मामले में 22 एफआईआर दर्ज किए हैं। इनमें से एक एफआईआर में राकेश टिकैत, दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह जैसे किसान नेताओं के नाम भी शामिल हैं।

इन सभी के खिलाफ ट्रैक्टर रैली की शर्तें तोड़ने का केस दर्ज किया गया है क्योंकि इन नेताओं ने उस एओसी पर साइन किए थे, जो पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के लिए जारी की थी।

वहीं, दिल्ली में हुए उपद्रव को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि रैली से पहले टिकैत का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें टिकैत लोगों से बात करते हुए कह रहे थे कि लाठी-गोती भी साथ रखना अपनी, झंडा लगाने के लिए, समझ जाना सारी बात।

अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या टिकैत के कहने पर ही प्रदर्शनकारी लाठियां लेकर पहुंचे थे। इस पर सफाई देते हुए टिकैत बुधवार को कहा कि उन्होंने कहा था कि अपनी लाठियां साथ लाना। लेकिन, उन्हें बिना डंडे वाला एक भी झंडा दिखा दें तो अपनी गलती मान लूंगा।


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