जवान भी लेंगे ज्वार-बाजरे का आनंद, 50 साल बाद आर्मी के राशन में मोटा अनाज शामिल


सेना ने बड़े पैमाने पर आयोजित कार्यक्रमों, बड़ाखानों, कैंटीनों और घर में खाना पकाने में बाजरा का व्यापक रूप से उपयोग करने के लिए सलाह जारी की है।


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नई दिल्ली। दुनियाभर में भारतीय श्री अन्न यानी मिलेट्स या मोटे अनाज को नई पहचान मिलें इसके लिए केंद्र सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने के आलोक में बाजरा की खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय सेना ने सैनिकों के राशन में बाजरा के आटे की शुरुआत की है।

यह ऐतिहासिक निर्णय यह सुनिश्चित करेगा कि सैनिकों को आधी सदी से भी अधिक समय के बाद देशी और पारंपरिक अनाज की आपूर्ति की जाए।

अपने सिद्ध स्वास्थ्य लाभों के साथ पारंपरिक बाजरा खाद्य पदार्थ और हमारी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल जीवन शैली की बीमारियों को कम करने और सैनिकों की संतुष्टि और मनोबल को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। बाजरा अब सभी रैंकों के सैनिकों के दैनिक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा होगा।

बाजरा प्रोटीन का अच्छा स्रोत –

वर्ष 2023-24 से शुरू होने वाले सैनिकों के लिए राशन में अनाज (चावल और गेहूं आटा) की अधिकृत पात्रता के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होने वाले बाजरे के आटे की खरीद के लिए सरकारी मंजूरी मांगी गई है।

इसकी आपूर्ति प्रयोग किए गए विकल्प और मांग की मात्रा पर आधारित होगा। बाजरे के आटे की तीन लोकप्रिय किस्में यानी बाजरा, ज्वार और रागी वरीयता को ध्यान में रखते हुए सैनिकों को जारी किए जाएंगे।

बाजरा में प्रोटीन, सूक्ष्म पोषक तत्वों और फाइटो-रसायनों का एक अच्छा स्रोत होने का लाभ होता है, जिससे सैनिक के आहार के पोषण प्रोफाइल को बढ़ावा मिलता है।

सीएसडी कैंटीनों के माध्यम से भी होगी आपूर्ति –

सेना ने बड़े पैमाने पर आयोजित कार्यक्रमों, बड़ाखानों, कैंटीनों और घर में खाना पकाने में बाजरा का व्यापक रूप से उपयोग करने के लिए सलाह जारी की है।

पौष्टिक, स्वादिष्ट और पौष्टिक बाजरे के व्यंजन तैयार करने के लिए रसोइयों को केन्द्रीकृत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उत्तरी सीमाओं पर तैनात सैनिकों के लिए मूल्य वर्धित बाजरा वस्तुओं को पेश करने पर विशेष जोर दिया गया है।

सीएसडी कैंटीन के माध्यम से बाजरा खाद्य पदार्थ पेश किए जा रहे हैं साथ ही शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में समर्पित कॉर्नर की स्थापना की जा रही है। शिक्षण संस्थानों में ‘अपने मिलेट को जानो’ जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

मोटे अनाजों की खपत बढ़ा रहा भारत –

दुनिया में मिलेट विशिष्ट उत्पादन के रूप में उत्पादित होता रहा है। समय के साथ मिलेट का भोजन की थाली में स्थान कम होता गया और इसकी प्रतिस्पर्धा समाप्त हो गई।

मिलेट को पुनः बढ़ावा मिले और इसका उपयोग बढ़े, इसे लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। नीति आयोग और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम भारत और विदेश में मोटे अनाजों की खपत और उत्पादन बढ़ाने के लिए कारगर उपायों पर काम कर रही है।

नीति आयोग और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने ‘मैपिंग एंड एक्सचेंज ऑफ गुड प्रैक्टिसेस’ नामक पहल शुरू की है। जिसके अंतर्गत एशिया और अफ्रीका में कदन्न (मोटे अनाज) को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जा रही है।

G20 में मिलेट को प्राथमिकता –

भारत की अगुवाई में वर्ष 2023 को पूरी दुनिया मिलेट ईयर के रूप में मना रही है। इसके अलावा, इस वर्ष देशभर के लगभग 50 शहरों में G20 की बैठकें आयोजित होनी हैं, जिनमें कई देशों के लगभग दो लाख लोग भारत आएंगे।

पीएम मोदी के निर्देशन में G20 की बैठकों के माध्यम से भी मिलेट के प्रचार-प्रसार की योजना तैयार की गई है। G20 के सभी कार्यक्रमों में, भोजन में मिलेट को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि जब ये लोग अपने देश लौटे तो यहां से भोजन का अच्छा स्वाद लेकर जाएं और दुनियाभर में भारतीय श्री अन्न को नई पहचान मिलें।


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