पीएमटी कांड में आज होगा चालान पेश, साठ आरोपी जिनमें 27 बड़े परिवारों की लड़कियां


मामले में सात जनवरी को चालान पेश होना है। जिन लोगों को इस फर्जीवाड़े में आरोपी बनाया गया है। उन्हें  गुरुवार को सुनवाई में उपस्थित रहना होगा। इनमें से दीक्षा चौरसिया, डा सलमान हसन, डा आयुष शर्मा का अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था जो खारिज कर दिये गए।  


DeshGaon
बड़ी बात Updated On :

भोपाल। पीएमटी कांड में सीबीआई ने एक मामले की जांच पूरी कर ली है। यह मामला चिरायु मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है, जिस पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी कोटे से सीट बेचकर मोटी कमाई की है।  इस मामले का चालान गुरुवार, सात जनवरी को विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। इस मामले में साठ आरोपी हैं इनमें से 27 लड़कियां हैं।

नईदुनिया अखबार की इस खबर के मुताबिक, चिरायु मेडिकल कॉलेज ने साल 2011 में पीएमटी फर्जीवाड़ा किया था। कॉलेज के ट्रस्टी और संचालक प्रदेश के ऐसे मेधावी विद्यार्थियों पीएमटी की परीक्षा दिलाते थे। परीक्षा देने वाले ये लोग पहले से एमबीबीएस कर रहे होते थे। इनमें से जो विद्यार्थी पीएमटी पास कर लेते थे, उनके कॉलेजों से मूल दस्तावेज निकलवा कर काउंसलिंग में शामिल कराते थे।

ख़बर बताती है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में जीआर मेडिकल कॉलेज के बाबू परमानंद बाधवा मदद करते थे। काउंसलिंग में चिरायु मेडिकल कॉलेज में सरकारी कोटे की सीट पर प्रवेश लेते थे। काउंसिलिंग खत्म होने के बाद आखिरी समय में अपना प्रवेश निरस्त करा लेते थे। चिरायु मेडिकल कॉलेज में सरकारी कोटे की सीट खाली हो जाती थी। सीट खाली होने के बाद सीट भरने का अधिकार कॉलेज के पास आ जाता था। कॉलेज की खाली सीट को ऐसे विद्यार्थियों को बेचते थे, जिन्होंने काउंसलिंग में भाग नहीं लिया होता था। इस तरह चिरायु मेडिकल कॉलेज ने कुल 47 सीटें बेची थीं।

इस मामले में चिरायु मेडिकल कॉलेज के ट्रस्टी डॉ. अजय गोयनका सहित अन्य स्टाफ को भी आरोपित बनाया गया है। इस मामले में 60 मुख्य आरोपी हैं। इनमें से 27 लड़कियां शामिल हैं। ये सभी लड़कियां बड़े रुतबेदार परिवारों से आती हैं और चिरायु मेडिकल कॉलेज के फर्जीवाड़े में शामिल रहीं हैं। इसकी जांच पूरी हो चुकी है।

मामले में सात जनवरी को चालान पेश होना है। जिन लोगों को इस फर्जीवाड़े में आरोपी बनाया गया है। उन्हें  गुरुवार को सुनवाई में उपस्थित रहना होगा। इनमें से दीक्षा चौरसिया, डॉ. सलमान हसन, डॉ. आयुष शर्मा का अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था जो खारिज कर दिये गए।

इस मामले की एसआईटी को शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी ने की थी। उनकी शिकायत पर झांसी रोड थाने में इस फर्जीवाड़े के खिलाफ एफआईआर की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2015 में जांच सीबीआई को हेंडओवर हो गई थी। इस पूरे मामले की सीबीआई पांच साल से जांच कर रही थी।


Related





Exit mobile version