वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में भी अब मोटे अनाज (मिलेट्स) को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य सरकार की पहल पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में अब मोटे अनाज (मिलेट्स) का चढ़ा हुआ लड्डू प्रसादम् के रूप में बिकने लगा है जिसे श्री अन्न प्रसादम’ के नाम से बेचा जा रहा है।
साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र संघ ‘मोटे अनाज दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा कर चुका है और इसी क्रम में काशी विश्वनाथ मंदिर में मिलेट्स से बना प्रसाद बेचे जाने की योजना बनाई गई।
इसके अलावा यूपी के मुखमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे बढ़ावा देने के लिए बजट में इसके लिए अलग से प्रावधान किया है। श्रीअन्न से बने प्रसाद की बिक्री श्री काशी विश्वनाथ धाम में शुरू हो गई थी।
जानिए किस तरह बनाया जा रहा है ‘प्रसादम’ –
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसाद का लड्डू राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाया जाता है और इसमें शुद्धता का विशेष ध्यान रखा गया है।
इस प्रसाद को बनाने में ‘‘बाजरा, गुड़, तिल, काजू, बादाम, शुद्ध घी और दूध के खोया का प्रयोग किया जाता है। मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का आदि तमाम आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त होते हैं और सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं।
अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित –
भारत सरकार की पहल से वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। कदन्न फसलों (ज्वार, बाजरा, रागी, मडुवा, सावां, कोदों, कुटकी, कंगनी, चीना आदि मोटे अनाज) के महत्व को पहचान कर भारत सरकार ने 2018 को कदन्न वर्ष के रूप में मनाया था, ताकि मोटे अनाज के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा सके।
इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र आमसभा में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय कदन्न दिवस के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव का नेतृत्व किया था। भारत सरकार की इस पहल को संयुक्त राष्ट्र आमसभा ने आगे बढ़ते हुए वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है।
केंद्र सरकार ने उठाए कई कदम –
मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाये गए हैं, जिनमें उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में पोषक अनाज को शामिल करना और कई राज्यों में कदन्न मिशन की स्थापना करना शामिल है।
मोटे अनाजों को अपनाने से जुड़ी चुनौती से निपटने के लिए सरकार खाद्यान्न वितरण कार्यक्रमों का ध्यान ‘कैलरी सिद्धांत’ से हटाकर ज्यादा विविध खाद्यान्न संकुल प्रदान करने पर विचार कर रही है।
इसका उद्देश्य स्कूल जाने की आयु से छोटे बच्चों और प्रजनन-योग्य महिलाओं की पोषण स्थिति में सुधार लाना है। नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम का इरादा है कि इन चुनौतियों का समाधान व्यवस्थित और कारगर तरीके से किया जाए।