खरगोन: मुस्लिमों का डर दिखाकर हिन्दू संगठन के नेता ने हड़पी किसानों की सैंकड़ों एकड़ जमीन


मुस्लिमों का डर दिखाकर यह संस्था करीब 200 एकड़ बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम में हड़पने में कामयाब रही। इसके बाद साल 2007 में संस्था का नाम बदलकर पीसी महाजन फाउंडेशन कर दिया गया।


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खरगोन। रामनवमी के बाद सांप्रदायिक दंगों को लेकर मीडिया में छाए रहे खरगोन से एक नया सनसनीखेज मामला बाहर आया है, जहां हिन्दू संगठन के नेताोओं द्वारा मुस्लिमों का डर दिखाकर किसानों से सैंकड़ों एकड़ जमीन हड़प ली गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपियों ने किसानों को बताया था कि वे मुस्लिमों से चारों ओर से घिर जाएंगे। यहां कब्रिस्तान बनाया जाएगा व बूचड़खाना खोला जाएगा और इस तरह उन्होंने किसानों की बेशकीमती जमीन को औने-पौने भाव में ट्रस्ट के नाम रजिस्टर करवा लिया।

न्यूज चैनल एनडीटीवी की रिपोर्ट की माने तो साल 2002 के आखिर में में तंजीम-ए-जरखेज नाम की एक संस्था की रजिस्ट्री की गई। मुस्लिम नाम वाली इस संस्था के सभी सदस्य हिंदू ही थे।

हालांकि, संस्था ने बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखने वाले जाकिर शेख नाम के एक मुस्लिम शक्स को इसका मैनेजर बनाया और उसकी मदद से हिंदू समुदाय के लोगों को ये बताया गया कि आसपास की जमीन मुस्लिम संस्था ने खरीद लिया है, जहां आगे चलकर बूचड़खाना खोला जाएगा, कब्रिस्तान और मदरसा बनाया जाएगा। इस तरह तुमलोग मुस्लिमों से घिर जाओगे और भविष्य में दिक्कतें होंगी।

मुस्लिमों का डर दिखाकर यह संस्था करीब 200 एकड़ बेशकीमती जमीन औने-पौने दाम में हड़पने में कामयाब रही। इसके बाद साल 2007 में संस्था का नाम बदलकर पीसी महाजन फाउंडेशन कर दिया गया।

राजपुरा में रहने वाले नंदकिशोर ने एनडीटीवी को बताया कि वह इतना डर गए थे कि लाखों की जमीन उन्होंने 40 हजार रुपये में ही बेच दी। उनके साथ में ही खड़े दीपक कुशवाहा बताते हैं कि हमने सोचा कि किसी बात-झंझट में कहां पड़ेंगे, हमारी नौ एकड़ जमीन थी, हमने भी बेच दी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ छोटे किसान ही नहीं, बल्कि संजय सिंघवी जैसे कारोबारियों ने भी वहां खेती की जमीन बेची थी। वे कहते हैं कि वहां रिश्तेदारों ने जमीन बेची, दबाव में उन्हें भी जमीन बेचनी पड़ी। हालांकि उनका कहना है कि उन्हें भाव अच्छा मिला।

संजय सिंघवी ने बताया कि

वहां तंजीम-ए-जरखेज नाम देखकर हमारे रिश्तेदारों को लगा कि हज कमेटी बनेगी, मुस्लिम बस्ती बसेगी। घबराकर उन्होंने जमीन बेच दी। सबसे आखिर में हमने अपनी ज़मीन उनके और बबलू दलाल के बोलने पर बेची।

उधर संस्था का नाम बदलने के साथ जाकिर शेख संस्था छोड़ चुके हैं। दूसरी तरफ, संस्था का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया और वे तो समाजसेवा कर रहे हैं। संस्था के संचालक रवि महाजन का कहना था कि सब काम कानून के तहत हुआ है।

200 एकड़ को लेकर अपने विजन के बारे में संस्था के संचालक रवि महाजन बताते हैं,

‘मैं खांडव वन को इंद्रप्रस्थ में बदलने का ध्येय रखता हूं। मैं अन्ना हजारे, बाबा आमटे से प्रेरित रहा हूं। हमने भी ये कल्पना की कि यहां ग्रीनलैंड बनाया जाए।’

उन्होंने तंजीम ए जरखेज का मतलब “बेकार जमीन को उपजाऊ बनाना” बताया। नाम बदलने के कारणों को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तंजीम ए जरखेज का भावार्थ समाज नहीं समझ रहा था, इसलिए नाम बदला गया।

बता दें कि बजरंग दल के प्रांत सहसंयोजक रह चुके रणजीत डांडीर जो अब भाजपा में है, वे इस संस्था के अध्यक्ष हैं। डांडीर का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है।

डांडीर खुद बताते हैं कि सात बार जेल जा चुके हैं और हत्या के मामले में भी आरोपी रहे हैं। डांडीर की कही गई बातों को माने तो वे उस जमीन पर बड़ा सा गौशाला खोलना चाहते हैं।


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