लोक संगीत की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की उम्र में निधन: एक युग का अंत


प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का दिल्ली में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बिहार की ‘स्वर कोकिला’ के रूप में जानी जाने वाली सिन्हा ने छठ गीतों और बॉलीवुड में अपनी विशिष्ट आवाज से अमिट छाप छोड़ी। उनके निधन से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है।


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लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन, छठ गीतों और बॉलीवुड में अनमोल योगदान

बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात 72 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा को छठ गीतों के कारण घर-घर में सम्मान और लोकप्रियता मिली थी। पिछले कुछ दिनों से वे मल्टिपल मायलोमा और लीवर की परेशानियों से जूझ रही थीं, जिसके चलते उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था और वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनकी अंतिम सांस लेते ही संगीत प्रेमियों और प्रशंसकों के बीच शोक की लहर दौड़ गई।

शारदा सिन्हा का निधन
अस्पताल में भर्ती थीं शारदा सिन्हा

लोकगीतों की अमर धरोहर

शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली, मगही, और हिंदी के लोकगीतों में अपनी अनूठी आवाज़ से एक अमिट छाप छोड़ी। उनके छठ पर्व के गीत ‘केलवा के पात पर’ और विवाह गीत ‘बाबुल’ जैसे गीतों ने उन्हें पूरे देश में प्रसिद्ध किया। अपनी सांगीतिक यात्रा में उन्होंने 1,500 से अधिक गीत गाए, जिनमें विद्यापति के गीत और महेंद्र मिसिर जैसे कवियों की रचनाएँ भी शामिल थीं। उनके गीतों में बिहार की मिट्टी की महक और ग्रामीण संस्कृति का सौंदर्य समाहित था, जिसने उन्हें न केवल लोक गायिकी में बल्कि लोकप्रिय सिनेमा में भी विशेष स्थान दिलाया।

लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन

शारदा सिन्हा का संघर्ष  एक प्रेरक कहानी

1953 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में जन्मी शारदा सिन्हा को संगीत में रुचि उनके पिता की प्रेरणा से मिली। उनके पिता सुखदेव ठाकुर ने बेटी के प्रतिभा को पहचाना और उन्हें शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलाई। उन्होंने पंडित रामचंद्र झा और रघु झा से शिक्षा प्राप्त की और बाद में ग्वालियर घराने के सीताराम हरि डांडेकर और किरणा घराने की पन्ना देवी से ठुमरी और दादरा सीखा। लोक संगीत में गहरी पकड़ बनाने के बावजूद उन्होंने बॉलीवुड में केवल चुनिंदा गाने गाए, जिनमें ‘हम आपके हैं कौन’ का ‘बाबुल’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के गीत शामिल हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक

शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “उनके गाए मैथिली और भोजपुरी गीत आस्था और लोकसंस्कृति का अमूल्य हिस्सा बन गए हैं। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य नेताओं ने भी उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।

लोक संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया

अपने अद्वितीय गायन और मेहनत के बल पर शारदा सिन्हा ने बिहार की सांस्कृतिक पहचान को पूरे विश्व में फैलाया। उन्होंने संगीत में महिलाओं के संघर्ष और समाज के अनछुए पहलुओं को अपनी आवाज में पिरोया। उनके परिवार और समर्थकों का मानना है कि छठ पर्व जैसे सांस्कृतिक उत्सवों पर उनकी आवाज़ हमेशा गूंजती रहेगी और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।

 

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