सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह जवाबी हलफनामा दाखिल करे कि किस तरीके से और किस हद तक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से आयुर्वेद, होम्योपैथी और सिद्धा को COVID के इलाज की अनुमति दी जा सकती है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि बताएं कि किस तरीके से और किस हद तक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से आयुर्वेद और होम्योपैथी के जरिये कोरोना के इलाज की अनुमति दी जा सकती है।
The #SupremeCourt on Thursday directed the Centre to file a counter affidavit detailing in what manner and to what extent Alternative Medicine by way of Ayurveda, Homeopathy and Siddha are permitted to treat #COVID19 .
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर केरल हाईकोर्ट के पिछले 21 अगस्त के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि आयुष पद्धति से चिकित्सा करने वाले कोरोना के इलाज के रूप में गोलियां या मिश्रण नहीं लिखेंगे बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के रूप में लिखेंगे। आयुष मंत्रायल ने पिछले 6 मार्च को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकारें दवाओं की दूसरी पद्धतियों को अपनाने के लिए कदम उठाएंगी। इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद एक वकील ने केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आयुष मंत्रालय के नोटिफिकेशन को केरल में लागू करने की मांग की ।
केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आयुष में डॉक्टर्स दवाओं को लिख सकते हैं लेकिन केवल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के रूप में लिख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि आयुष मंत्रालय द्वारा क्या कोई दिशा-निर्देश जारी किया गया है। इसका असर पूरे देश में होगा। हर किसी को कोरोना के इलाज की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट का फैसला सही है। तब मेहता ने कहा कि आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देश को कोर्ट के समक्ष रखेंगे। तब कोर्ट ने मेहता को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।