“क्या है मोदी सरकार भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार…” रोजगार सहायक ने जनपद सीईओ से तंग आकर की आत्महत्या


ग्राम रोजगार सहायक गजेंद्र राठौड़ ने खंडवा में कथित भ्रष्टाचार से तंग आकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले बनाए वीडियो में उन्होंने जनपद सीईओ पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया। कांग्रेस ने इसे सरकार की नाकामी बताते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के कारण निर्दोष लोगों की जान जा रही है। परिवार और समाज के लोग सीईओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


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बड़ी बात Updated On :

खंडवा जिले में एक ग्राम रोजगार सहायक गजेंद्र राठौड़ ने कथित तौर पर रिश्वतखोरी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। गजेंद्र, जो पुनासा जनपद में ग्राम पंचायत गुलगांव में कार्यरत थे, ने मंगलवार को जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दे दी। घटना से पहले गजेंद्र ने एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने जनपद सीईओ रीना चौहान पर भ्रष्टाचार और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए। वीडियो में उनकी आवाज कांप रही थी, और उन्होंने कहा, “रीना चौहान मेरी मौत की जिम्मेदार हैं। मैं अपने बच्चों को पाल नहीं पा रहा हूं, और अगर मैं रिश्वत देता, तो शायद मेरी नौकरी बच जाती।”

 

कांग्रेस का सरकार पर हमला

कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने खंडवा जिले के गुलगांव रैयत के पंचायत सचिव गजेंद्र राठौर की आत्महत्या पर दुख जताया है। उन्होंने कहा, “मरता हुआ आदमी कभी झूठ नहीं बोलता, और कानून भी अंतिम कथन को सच मानता है। गजेंद्र ने आत्महत्या से पहले वीडियो बनाकर सचाई उजागर की। जनपद पंचायत की सीईओ रीना चौहान ने उससे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी और उसे 22 महीने से वेतन भी नहीं मिला था। रिश्वत न दे पाने की स्थिति में उसने सल्फास खाकर जान दे दी।”

 

उमंग सिंघार ने आगे कहा, “गजेंद्र राठौर ने अपने अंतिम संदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार को कोसा और राज्य के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी नाम लिया। मुख्यमंत्री जी, यह देखिए कि मध्यप्रदेश में कैसी कुव्यवस्था चल रही है। रिश्वत न दे पाने वाले छोटे कर्मचारियों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार की लगाम इतनी तो कसनी चाहिए कि किसी को इस तरह के कदम न उठाने पड़ें। यह घटना बेहद निंदनीय और दुखद है।”

Jila Panchayat CEO

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार की मार से निर्दोषों की जान ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गजेंद्र आठ महीने से न्याय के लिए दर-दर भटक रहे थे, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। पटवारी ने कहा, “आज प्रदेश में वल्लभ भवन से लेकर ग्राम पंचायत तक भ्रष्टाचार का जाल फैला हुआ है। अधिकारी खुलेआम मनमानी कर रहे हैं, जबकि आम लोग प्रताड़ित हो रहे हैं।”

 

परिवार और समाज का आक्रोश

गजेंद्र के परिवार के मुताबिक, वे पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे। उनके दो बेटे हैं, जिनकी उम्र 15 और 8 साल है। घटना के बाद, राजपूत समाज और परिवार के लोग बड़ी संख्या में पोस्टमार्टम रूम के बाहर इकट्ठा हो गए और सीईओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस नेता उत्तम पाल सिंह ने भी प्रशासन से बातचीत कर पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी की मांग उठाई।

 

सीईओ ने आरोपों को बताया निराधार

मामले में जनपद सीईओ रीना चौहान ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि गजेंद्र की सेवा समाप्ति की कार्रवाई तत्कालीन सीईओ द्वारा की गई थी, और उन पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप पूरी तरह निराधार हैं।

रीना चौहान, जनपद सीईओ

प्रशासनिक कार्रवाई और आगे की स्थिति

घटना के बाद प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इंदौर के कमिश्नर ने पुनासा सीईओ को खंडवा जिला पंचायत कार्यालय में अटैच करने के आदेश दिए हैं। एसडीएम बझरंग बहादुर के आश्वासन के बाद परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाने की अनुमति दी।

 

यह घटना सरकारी सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार और जनप्रतिनिधियों की असफलता को उजागर करती है, जहां एक रोजगार सहायक ने न्याय न मिलने से हताश होकर अपनी जान गंवा दी।

 


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