महाकाल मंदिर में फिर टूटा नियम: मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव और महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे के बेटों ने किया गर्भगृह में प्रवेश


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटों ने महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया, जो नियमों के उल्लंघन का मामला है। आम भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित है, लेकिन वीआईपी द्वारा यह नियम तोड़ा गया। इस घटना पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है।


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बड़ी बात Published On :

महाकालेश्वर मंदिर में आम लोगों के लिए कई तरह की नियम बनाए गए हैं वैसे तो यह नियम सभी खास लोगों पर भी ऐसे ही लागू होने चाहिए लेकिन वीआईपी अक्सर आम जनता के इन नियमों को खुद के लिए नहीं समझते।

महाकाल मंदिर में पहले भी कई बार खास लोगों ने आम लोगों का इसी तरह मज़ाक बनाया है और एक बार फिर यही हो रहा है। गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे ने नियमों को दरकिनार करते हुए मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया। उनके साथ उनकी पत्नी और दो अन्य लोग भी थे, जिन्होंने लगभग छह मिनट तक शिवलिंग के पास बैठकर पूजा-अर्चना की।

 

क्या है नियम?

महाकाल मंदिर में पिछले एक साल से गर्भगृह में आम श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है, जहां केवल पुजारियों को ही जाने की अनुमति है। आम भक्तों को शिवलिंग से 50 फीट की दूरी से ही दर्शन करने की इजाज़त है। यह चौथी बार है जब किसी वीआईपी ने मंदिर के इस नियम का उल्लंघन किया है।

 

कांग्रेस की आपत्ति

उज्जैन से कांग्रेस विधायक महेश परमार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि आम श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े होकर दर्शन करते हैं, जबकि वीआईपी नियमों को तोड़कर गर्भगृह में प्रवेश कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी है।

 

सीएम की बेटों की जांच करेंगे कलेक्टर

मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह ने कहा कि गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई थी और इस मामले में जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। जब श्रीकांत शिंदे गर्भगृह में प्रवेश कर रहे थे, तब वहां सुरक्षा कर्मी मौजूद थे, लेकिन किसी ने उन्हें रोका नहीं। यह सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक मानी जा रही है।

क्या है नियमों की वजह 

महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध कई वजहों से लगाया गया है लेकिन इसका एक मुख्य कारण शिवलिंग के क्षरण को रोकना और भक्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करना है। मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसके चलते यह निर्णय लिया गया था।

 


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