रतन टाटा का निधन: 86 साल की उम्र में टाटा समूह के शानदार लीडर ने ली आखिरी सांस


प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाने वाले रतन टाटा के नेतृत्व में जगुआर लैंड रोवर जैसे बड़े अधिग्रहण हुए। व्यवसाय के अलावा, वे समाजसेवा के प्रति भी समर्पित थे, उनकी परोपकारी पहलों ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाखों लोगों के जीवन को छुआ। प्रधानमंत्री मोदी और उद्योग जगत ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया, उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में याद किया जिन्होंने भारत के कॉर्पोरेट और सामाजिक परिदृश्य को आकार दिया।


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बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में टाटा समूह के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा का निधन हो गया। 86 वर्षीय रतन टाटा बीते कुछ दिनों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए उन्हें “दोस्त, मार्गदर्शक और प्रेरक” के रूप में याद किया।

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह का विस्तार

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार किया और इसे एक भारतीय कंपनी से एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड में बदल दिया। उनके कार्यकाल के दौरान समूह ने जगुआर लैंड रोवर, टेटली, और कोरस जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों का अधिग्रहण किया, जो उनकी दूरदर्शिता और व्यावसायिक रणनीति की मिसाल हैं। 1961 में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर से करियर की शुरुआत करने वाले रतन टाटा ने 1991 में जेआरडी टाटा के बाद चेयरमैन का पद संभाला और तब से लेकर अब तक टाटा समूह ने अनेक मील के पत्थर हासिल किए।

समाजसेवा और परोपकार के प्रति रतन टाटा का योगदान

रतन टाटा का जीवन केवल बिजनेस तक सीमित नहीं था। उनके लिए समाज सेवा और परोपकार भी उतना ही महत्वपूर्ण था। शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उनकी परोपकारी पहलें आज भी लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि टाटा समूह न केवल मुनाफा कमाए, बल्कि समाज के उत्थान में भी अपनी भूमिका निभाए।

प्रधानमंत्री मोदी और अन्य हस्तियों ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “रतन टाटा का जाना भारत के उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। वे एक दूरदर्शी उद्योगपति और दयालु आत्मा थे, जिन्होंने समाज के हित में अनगिनत योगदान दिए।”

उद्योगपति हर्ष गोयनका ने भी ट्वीट करते हुए रतन टाटा को “टाइटन” कहा और उनके योगदान को आने वाले कई दशकों तक याद रखने की बात कही।

 

रतन टाटा की सादगी और विनम्रता

रतन टाटा अपनी सादगी और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वे हमेशा कहते थे कि एक इंसान के ओहदे से अधिक उसकी इंसानियत मायने रखती है। उन्होंने 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित होने के बावजूद अपनी विनम्रता नहीं खोई।

रतन टाटा की विरासत

रतन टाटा के जाने से टाटा समूह और देश ने एक महान नेता को खो दिया है, लेकिन उनकी विरासत और उनके द्वारा स्थापित आदर्श हमेशा हमें प्रेरित करते रहेंगे। उनके नेतृत्व में टाटा ने जो ऊंचाइयां हासिल कीं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल रहेंगी।



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