राज्यसभा में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव: सभापति जगदीप धनखड़ को बताया पक्षपाती


राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन INDIA ने उपराष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। विपक्ष ने धनखड़ पर सत्ता पक्ष के प्रति पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।


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बड़ी बात Updated On :

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सांसदों ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस नोटिस में उन पर सदन के संचालन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और सरकार की नीतियों के समर्थन में सार्वजनिक तौर पर बयान देने का आरोप लगाया गया है। विपक्ष का कहना है कि धनखड़ ने अपने पद की गरिमा का उल्लंघन करते हुए सरकार के प्रवक्ता की तरह व्यवहार किया है।

सूत्रों के अनुसार, विपक्ष ने इस दो पन्नों के नोटिस में धनखड़ के कुछ बयानों और कार्यों का उल्लेख किया है। इसमें जुलाई 2 को राज्यसभा में धनखड़ का यह कथन भी शामिल है कि वह 25 साल पहले “आरएसएस के एकलव्य” बन गए थे। विपक्ष का कहना है कि यह बयान एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के गैर-निष्पक्ष रवैये को दर्शाता है और सभापति की भूमिका के लिए “अनुचित” है।

विपक्ष ने आरोप लगाया है कि धनखड़ सदन में विपक्षी नेताओं को बार-बार बोलने से रोकते हैं और उनकी वैध चिंताओं को खारिज करते हैं। इसके साथ ही, सार्वजनिक मंचों पर विपक्ष के खिलाफ “अपमानजनक” टिप्पणियां करने और उनकी असहमति को दबाने की कोशिश करने के भी आरोप लगाए गए हैं।

नोटिस में सोमवार, 9 दिसंबर की घटना का भी जिक्र है, जब धनखड़ ने एनडीए सांसदों को बोलने की अनुमति दी, जबकि उनके नोटिस को खारिज कर दिया गया था। यह नोटिस राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिया गया था।

विपक्ष ने दावा किया है कि धनखड़ ने विपक्ष के नेता को प्रधानमंत्री और सरकार के बयानों को चुनौती देने का मौका देने से इनकार कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने विपक्ष के कुछ नेताओं पर ऐसे वक्तव्य दिए, जो राज्यसभा के सदस्य भी नहीं हैं।

इस नोटिस में विपक्ष ने कहा है कि धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति के “महत्वपूर्ण और निष्पक्ष” पद को कमजोर कर दिया है और सदन में एक “पक्षपातपूर्ण प्रवक्ता” के रूप में काम किया है। विपक्ष ने अपने आरोपों के समर्थन में समाचार पत्रों की कतरनें भी प्रस्तुत की हैं।

यह अविश्वास प्रस्ताव संसदीय प्रक्रियाओं में एक नया मोड़ लाने वाला है। विपक्ष और सरकार के बीच बढ़ते टकराव के इस दौर में यह प्रस्ताव राजनीति और संसद के भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

 

इससे पहले…

राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन INDIA ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी तेज कर दी है। यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत पेश किया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ सदन में निष्पक्षता बनाए रखने में असफल रहे हैं और अक्सर सत्ता पक्ष का पक्ष लेते नजर आते हैं।

 

विपक्ष का यह प्रस्ताव अब तक 70 सांसदों के हस्ताक्षर हासिल कर चुका है। समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसे प्रमुख दलों ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन दिया है। विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव को मानसून सत्र के दौरान तैयार किया था, लेकिन उस समय इसे पेश नहीं किया गया। अब, विपक्ष ने इसे अपनी प्राथमिकता बनाते हुए संसद में धनखड़ के रवैये पर सवाल उठाया है।

 

विपक्ष का कहना है कि सदन के सभापति का दायित्व है कि वे सभी सदस्यों के साथ समानता का व्यवहार करें। लेकिन, विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ ने बार-बार विपक्षी सदस्यों के साथ कठोर रवैया अपनाया और सत्ता पक्ष के प्रति झुकाव दिखाया। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यदि सदन के सभापति निष्पक्ष नहीं होंगे, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर संकट खड़ा कर सकता है।” विपक्ष ने इस प्रस्ताव को लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक जरूरी कदम बताया।

 

 सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया का इंतजार

अब तक भाजपा या सत्ता पक्ष की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सरकार इस प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित करार देकर खारिज करने की कोशिश करेगी।

 

संसद में क्या होगा?

यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद सत्र के दौरान इस प्रस्ताव पर किस तरह की बहस होती है। विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया है, जबकि सत्ता पक्ष इसे राजनीति से प्रेरित कदम बता सकता है।

INDIA गठबंधन की रणनीति

इस प्रस्ताव के जरिए विपक्ष ने अपनी एकजुटता दिखाने का प्रयास किया है। गठबंधन नेताओं का कहना है कि यह केवल धनखड़ के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को बचाने का प्रयास है। विपक्ष इसे जनता के सामने सत्ता पक्ष के रवैये को उजागर करने का एक बड़ा मौका मान रहा है।



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