सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मोदी सरनेम मामले में गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। साल 2019 में कर्नाटक की एक रैली में राहुल ने कहा था “सभी चोरों का उपनाम मोदी है”। इसके बाद पूर्णेश मोदी नाम के एक भाजपा के एक नेता ने उनकी शिकायत की और काफी समय तक शांत रहे इस मामले में इसी साल अचानक हलचल बढ़ गई और सूरत कोर्ट ने उन्हे दो साल की सजा सुना दी। जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता छीन ली गई। राहुल को इसके बाद हाईकोर्ट ने भी राहत नहीं दी है।
मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने प्रतिवादियों पूर्णेश ईश्वरभाई मोदी और गुजरात सरकार से जवाब मांगा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए चार अगस्त की तारीख तय कर दी है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने अपने पिता और भाई के कांग्रेस पार्टी से जुड़े होने का हवाला देते हुए मामले से अलग होने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि “मेरे पिता (कांग्रेस से) जुड़े हुए थे। वह कांग्रेस के सदस्य नहीं थे, लेकिन वह करीबी तौर पर जुड़े हुए थे। श्री सिंघवी जी, आप 40 साल से अधिक समय से कांग्रेस के साथ हैं और मेरा भाई अभी भी राजनीति में है और वह भी कांग्रेस में है। कृपया निर्णय लें यदि आप चाहते हैं कि मैं यह सुनूं,”
हालांकि, दोनों पक्षों ने जस्टिस गवई द्वारा मामले की सुनवाई पर कोई आपत्ति नहीं जताई। सिंघवी ने इस पर जवाब देते हुए कहा, ”कोई बात नहीं मिलॉर्ड।”
उत्तरदाताओं के वकील ने कहा, “हमें कोई समस्या नहीं है।” इसके बाद पीठ मामले में नोटिस जारी करने के लिए आगे बढ़ी।
गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अंतरिम राहत देने के लिए गुजारिश की।
सिंघवी ने कहा, “याचिकाकर्ता राहुल गांधी को 111 दिनों तक पीड़ा झेलनी पड़ी है। उन्होंने संसद सत्र खो दिए हैं। सिंघवी ने कहा कि वायनाड के संसदीय क्षेत्र में जल्द ही चुनाव होंगे। हालाँकि, न्यायालय ने यह कहते हुए कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया कि उत्तरदाताओं को भी सुनना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सजा पर रोक के लिए राहुल गांधी द्वारा दायर याचिका के मामले में गुजरात हाईकोर्ट का फैसला असामान्य रूप से लंबा था।
पीठ ने टिप्पणी की, “इसमें 100 से अधिक पन्ने हैं। इतना विस्तृत। इसमें जवाब दाखिल करने के लिए क्या है.. यह अजीब बात है जो हम गुजरात की अदालतों में देख रहे हैं।”
उल्लेखनीय है कि गुजरात हाईकोर्ट की एकल पीठ में न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने 7 जुलाई को यह कहते हुए राहुल गांधी को राहत देने से इनकार कर दिया था कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना कोई नियम नहीं है और इसका प्रयोग केवल दुर्लभ मामलों में ही किया जाना चाहिए।
साभारः बार एंड बैंच