नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना इस समय फ्रांस में नाटो देशों के साथ ‘ओरियन एक्सरसाइज’ में युद्धाभ्यास कर रही है। यह युद्धाभ्यास फ्रांस के मॉन्ट-डे-मार्सन में फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स के बेस स्टेशन में हो रहा है।
नाटो देशों में शामिल जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड्स, ब्रिटेन, स्पेन और अमेरिका की वायु सेनाएं भी इसमें भाग ले रही हैं।
भारतीय वायु सेना राफेल लड़ाकू विमानों के साथ दो सी-17 ग्लोबमास्टर-III हैवी-लिफ्ट एयरक्राफ्ट, दो इल्यूशिन आईएल-78 रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट और 165 वायु योद्धाओं की एक टुकड़ी भेजी है।
बहुराष्ट्रीय वॉरगेम में हिस्सा लेने के लिए भारतीय वायु सेना की टुकड़ी 14 अप्रैल को फ़्रांस के लिए रवाना हुई थी। यह अभ्यास 17 अप्रैल से शुरू हुआ है और 5 मई तक चलेगा।
#ExerciseOrion 23
After a brief halt in Egypt, the IAF contingent reached the Mont-de-Marsan airbase, France.Commencing tomorrow, the exercise will see the IAF engage in realistic combat scenarios with the other participating Air Forces. #DiplomatsInFlightSuits
📸- Cpl A Mitra pic.twitter.com/3Mo6VQ5cMy— Indian Air Force (@IAF_MCC) April 16, 2023
राफेल ने पहली बार विदेश में किसी युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया –
पहली बार भारतीय राफेल लड़ाकू विमान विदेशी धरती पर बहुराष्ट्रीय वॉरगेम का हिस्सा बने हैं। हालांकि, भारतीय राफेल विदेशी मेहमानों के साथ भारत में हुए कई बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में हिस्सा ले चुका है, लेकिन यह पहली बार है जब भारतीय राफेल लड़ाकू विमान देश के बाहर बहुराष्ट्रीय वॉरगेम में भाग ले रहा है। यह भी ख़ास है कि यह वही फ्रांसीसी धरती है, जहां उसका जन्म हुआ है।
इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य –
इस अभ्यास का मकसद एक्सरसाइज में भाग ले रही अन्य देशों की वायु सेनाओं से सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को सीखना है, ताकि भारतीय वायु सेना की कार्यशैली और समृद्ध हो सके। इस बहुपक्षीय अभ्यास में भारत और फ़्रांस के अलावा, जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेनाएं भी उड़ान भर रही हैं।
अभ्यास में हिस्सा ले रहे देशों में भारत को छोड़कर सभी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) के सदस्य हैं। यह अभ्यास फ्रांस में रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में हो रहा है, जहां अमेरिका के नेतृत्व में नाटो यूक्रेन के खिलाफ रूसी कदमों का विरोध कर रहा है।
जानें इल्यूशिन II-78 की खासियत –
भारतीय वायुसेना ने फ्रांस में युद्धाभ्यास करने के लिए दो ऐसे विमान भेजे हैं, जो हवा में ही रिफ्यूलिंग कर देते हैं। इल्यूशिन II-78 विमान आसमान में उड़ते हुए पेट्रोल पंप की तरह हैं। इस एक विमान को उड़ाने के लिए 6 लोग लगते हैं, जो अपने अंदर एक लाख किलोग्राम मिलिट्री जेट फ्यूल भर सकता है।
इस 152.10 फीट लंबे विमान की ऊंचाई 48.5 फीट होती है। यह अधिकतम 850 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ता है। एक बार में 7300 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है और अधिकतम 39 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है।
मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है राफेल –
फ्रांसीसी धरती पर जन्मा फाइटर जेट राफेल अधिकतम 51,952 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। यह एक सेकेंड में 305 मीटर की सीधी उड़ान भरने में सक्षम है। इसमें 30 मिमी की ऑटोकैनन लगी है, जो 125 राउंड प्रति मिनट दागती है।
इसके अलावा इसमें 14 हार्ड प्वाइंट्स हैं, जिसमें सभी तरह की मिसाइलें और बम लगा सकते हैं। युद्धाभ्यास में भाग लेने गए दो सी-17 ग्लोबमास्टर दुनिया के सबसे बड़े मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान हैं।
इस भारी-भरकर विमान को 2 लोग मिलकर उड़ाते हैं, जिसमें दो पायलट और एक लोड मास्टर होता है। यह एक बार में 77,519 किलोग्राम वजन लेकर उड़ान भर सकता है या फिर 134 पैराट्रूपर्स या एक टैंक या दो बख्तरबंद ढो सकता है।