सिकंदराबाद से शुरू हुई भारत गौरव ट्रेन की ‘पुण्य क्षेत्र यात्रा’


इस ट्रेन के यात्रियों को 8 रात/9 दिन की कुल अवधि में पुरी, कोणार्क, गया, वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज की यात्रा करने का अनूठा अवसर मिलेगा।


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नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने ट्रेन के माध्यम से देश के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों को आपस में कनेक्ट करके भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों का दर्शन कराने के लिए ‘भारत गौरव ट्रेनें’ शुरू की है।

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से ‘पुण्य क्षेत्र यात्रा: पुरी-काशी-अयोध्या’ की शुरुआत हुई। यह टूरिस्ट सर्किट ट्रेन रेल यात्रियों को देश के पूर्वी और उत्तरी हिस्से में भारत के कुछ सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण स्थलों पर ले जाएगी।

इस ट्रेन के यात्रियों को 8 रात/9 दिन की कुल अवधि में पुरी, कोणार्क, गया, वाराणसी, अयोध्या और प्रयागराज की यात्रा करने का अनूठा अवसर मिलेगा। रेल यात्रियों को लाभान्वित करने के लिए, दो तेलुगु राज्यों में 9 महत्वपूर्ण स्टेशनों पर बोर्डिंग (और डी-बोर्डिंग) की सुविधा दी गई है।

ट्रेन में मिलेंगी ये सुविधाएं –

इस ट्रेन में यात्रियों की सभी जरूरतों का विशेष ध्यान रखा गया है। टूर पैकेज में समस्त यात्रा सुविधाएं (दोनों ही रेल और सड़क परिवहन सहित), ठहरने की सुविधा, कपड़े धोने एवं बदलने की सुविधाएं, खानपान की व्यवस्था, प्रोफेशनल एवं मैत्रीपूर्ण टूर एस्कॉर्ट्स की सेवाएं, ट्रेन में सुरक्षा के लिए सभी कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, सभी कोचों में सार्वजनिक घोषणा सुविधा, यात्रा बीमा शामिल हैं।

क्यों खास है भारत गौरव ट्रेन –

हमारा भारत विविधता से परिपूर्ण देश है और हमारा देश पौराणिक सभ्यताओं और त्योहारों एवं संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। “देखो अपना देश” पहल के अंतर्गत आईआरसीटीसी की भारत गौरव ट्रेन की यात्रा भारत के गौरवशाली इतिहास, विरासत और विविध संस्कृति को पूरी दुनिया में और भी ज्यादा लोकप्रिय बनाने में जुटी हुई है। भारतीय रेलवे ने नवंबर 2021 में थीम आधारित भारत गौरव ट्रेन का संचालन शुरू किया था।

मेघालय और पूर्वोत्तर में रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार की पीएम मोदी ने की सराहना –

पीएम मोदी ने मेघालय को पहली बार इलेक्ट्रिक ट्रेन प्राप्त होने पर खुशी जाहिर करते हुए इसकी सराहना की है। दरअसल, भारतीय रेलवे ने अभयपुरी–पंचरत्न और दुधनाई-मेंदीपथार के बीच महत्वपूर्ण खंडों पर विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया है। इस कार्य के पूरा होने से अब मेघालय में पहली बार इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली रेलगाड़ियां चलेंगी।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा- ‘यह काफी अच्छी खबर है’ –

पीएम मोदी ने इस संबंध में पीआईबी मेघालय के एक ट्वीट को साझा किया है जिसमें उन्होंने कहा, “मेघालय और उत्तर पूर्व में कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए यह काफी अच्छी खबर है।”

वहीं मेघालय का वर्षों पुराना ये सपना साकार होने से स्थानीय नागरिकों में खुशी की लहर है। इससे रेल की स्पीड में तो सुधार आएगा ही साथ ही नॉर्थ-ईस्ट के यात्रियों का सफर और भी सुहाना होगा।

2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ रही भारतीय रेलवे –

भारतीय रेलवे वर्ष 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए पूरी शक्ति के साथ प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रही है।

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल करने के प्रयास में 15 मार्च, 2023 को दुधनोई-मेंदीपाथर (22.823 किलोमीटर ट्रैक) सिंगल लाइन सेक्शन और अभयपुरी-पंचरत्न (34.59 किलोमीटर ट्रैक) डबल लाइन खंड को क्रियान्वित करके एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

इन खंडों में विद्युतीकरण पूरा करने का कार्य रेलवे विद्युतीकरण के लिए केंद्रीय संगठन (कोर) ने किया है।

इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली रेलगाड़ियां अब मेघालय के मेंदीपाथर से सीधे होंगी संचालित –

मेंदीपाथर पूर्वोत्तर भारत के राज्य मेघालय का एकमात्र ऐसा रेलवे स्टेशन है, जो पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने के बाद वर्ष 2014 से परिचालन में है।

विद्युत कर्षण के प्रारंभ होने के बाद, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली रेलगाड़ियां अब मेघालय के मेंदीपाथर से सीधे संचालित हो सकेंगी।

रेलगाड़ियों की औसत गति में भी होगी वृद्धि –

इस अहम सफलता से रेलगाड़ियों की औसत गति में भी वृद्धि होगी। अब अधिक यात्री और माल ढुलाई वाली ट्रेनें इन खंडों के विद्युतीकरण होने के बाद अपने खंड संबंधी पूर्ण निर्धारित गति से संचालित हो सकेंगी।

इससे खंड के रेल संचालन में समय की पाबंदी भी बढ़ेगी। दूसरे राज्यों से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली पार्सल और माल ढुलाई वाली रेलगाड़ियां सीधे मेघालय पहुंच सकेंगी।

पूर्वोत्तर भारत में रेलगाड़ियों के संचालन में होगा काफी सुधार –

विद्युतीकरण पूर्ण होने से पूर्वोत्तर भारत में रेलगाड़ियों के संचालन में काफी सुधार होगा। जीवाश्म ईंधन से चलने वाले इंजन से विद्युत चालित इंजन की ओर जाने से प्रदूषण में कमी के अलावा, इस क्षेत्र में रेलवे प्रणाली की दक्षता में भी सुधार होगा।

इससे निर्बाध यातायात की सुविधा होगी और कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों के समय की भी बचत होगी।


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