मध्यप्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता कानून यानी लव जिहाद के प्रावधान


मध्यप्रदेश में अध्यादेश बनाने के बाद 48 घंटों में ही इस कानून को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मंजूरी मिल गई। दिलचस्प है कि पिछले दिनों यह कानून बनाने वाले दो राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में आनंदी बेन ही राज्यपाल हैं और दोनों जगह उन्होंने ही इस कानून को मंजूरी दी है। 


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भोपाल। प्रदेश में धार्मिक स्वंतत्रता अध्यादेश लागू हो चुका है। इसे आम भाषा में लव जिहाद कानून भी कहा जा रहा है। लव जिहाद यानी पुरुषों द्वारा किसी अन्य पंत को मानने वाली महिलाओं के साथ प्रेम संबंध बनाकर उनसे जबरदस्ती अपने धर्म को स्वीकार करवाना। लव जिहाद पर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी। जिसके बाद यह शब्द लगातार बहसों में बना रहा और अब इस पर कानून बन गया।

मध्यप्रदेश में अध्यादेश बनाने के बाद 48 घंटों में ही इस कानून को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मंजूरी मिल गई। दिलचस्प है कि पिछले दिनों यह कानून बनाने वाले दो राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में आनंदी बेन ही राज्यपाल हैं और दोनों जगह उन्होंने ही इस कानून को मंजूरी दी है।

 जानिये मध्यप्रदेश में लागू किये गए इस कानून के क्या-क्या प्रावधान हैं…

  • किसी को बहला-फुसलाकर या धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है। यह अपराध गैर जमानती होगा।
  • जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
  • धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले कलेक्टर को धर्मांतरण और विवाह करने तथा करवाने वाले दोनों पक्षों को औपचारिक आवेदन करना होगा।
  •  अपने मूल धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
  • आवेदन न देकर धर्म परिवर्तन करवाने वाले धार्मिक गुरुओं जैसे मौलवी, काजी या पादरी को पांच साल की सज़ा हो सकती है।
  • धर्मांतरण या जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता-पिता, परिजन या गार्जियन के द्वारा पुलिस और प्रशासन से की जा सकती है।
  • धर्मांतरण के साथ विवाह करवाने वाले ही नहीं इसमें सहयोग करने वाले लोगों को भी मुख्य आरोपी ही माना जाएगा। उन्हें भी वही सजा मिलेगी।
  • आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा।
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
  • पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक मिलेगा।

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